कछुए की चाल से चल रही फर्जीवाड़े की जांच
कानपुर में पारिवारिक लाभ योजना के तहत लेखपालों ने चार दर्जन से अधिक अपात्रों को पात्र बना दिया था। इसकी जांच में भी खेल किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : पारिवारिक लाभ योजना में हुए फर्जीवाड़े की जांच सुस्त गति से चल रही है। हाल यह है कि इसकी चाल को देख कछुए को भी शर्म आ जाए। पहले तो इस फर्जीवाड़े में एक लिपिक को निलंबित कर दिया गया, लेकिन जब मामले में आरोपी तीन लेखपालों पर कार्रवाई की बात आई तो जांच के नाम पर लीपापोती शुरू हो गई।
टीपी नगर की साबिया खातून, नूर जहां, विश्व बैंक बर्रा की मिथलेश, टीपी नगर की नसीमा, रत्तूपुरवा की मुन्नी देवी, यशोदा नगर की मंजुल आदि ने पूर्व में योजना का लाभ ले लिया था, लेकिन पिछले साल इन लोगों ने दोबारा आवेदन किया। लेखपालों ने आंख मूंदकर उन्हें फिर से पात्र बना दिया। इसी तरह तीन दर्जन से अधिक महिलाएं जो अपात्र थीं उन्होंने योजना के तहत 30-30 हजार रुपये का लाभ पाने को आवेदन किया। लेखपालों ने फिर कार्यालय में बैठकर उन्हें पात्र बनाया। जब समाज कल्याण विभाग में उनका खेल पकड़ा गया तो आनन फानन में उन्होंने फिर से उन्हें अपात्र घोषित कर दिया। मामले में दलालों, लेखपालों और एक महिला लिपिक की सांठगांठ उजागर हुई। चार माह पहले लिपिक तो निलंबित हुई , लेखपालों पर कार्रवाई नहीं हुई। मामले की जांच नायब तहसीलदार अजीत सिंह को दी गई है। तीन माह से अधिक समय हो चुका है वे जांच पूरी नहीं कर सके हैं। अब उनका कहना है कि एक कानूनगो की रिपोर्ट आनी बाकी है। 15 दिन में रिपोर्ट सौंप देंगे।
आंदोलन की धमकी से डरे अफसर
चार माह पहले जब दैनिक जागरण ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया तो अफसरों ने लेखपालों को आरोप पत्र दिया। जांच अधिकारी नामित किया और निलंबन की तैयारी हुई, लेखपालों ने आंदोलन की धमकी दी तो जांच की रफ्तार धीमी कर दी गई।