पढ़िए, यूपीसीडा के सीईओ का साक्षात्कार, कानपुर में कैसे खुलने वाली है औद्योगिक विकास की राह
यूपीसीडा के सीईओ मयूर महेश्वरी ने कहा शहर में छह नए औद्योगिक क्षेत्र बसाए जाएंगे और लेदर क्लस्टर-ट्रांस गंगा सिटी मील का पत्थर साबित होंगे। इसके साथ ही जल्द ही डिजिटल सिग्नेचर के जरिए भूखंडों का पंजीकरण शुरू किया जाएगा।
कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया सपने को साकार करने के साथ-साथ उसे नए आयाम देने के लिए जरूरी है कि नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना हो व नई औद्योगिक इकाइयां लगें। इकाइयां तभी लगेंगी जब निवेश के इ'छुक लोगों को बेहतर सुविधाएं और माहौल मिलेगा। सूबे में और कितने नए औद्योगिक क्षेत्र बसेंगे? ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का कितना लाभ मिल रहा है? भविष्य में कानपुर को उसका पुराना औद्योगिक स्वरूप कैसे वापस मिलेगा? इन मुद्दों पर दैनिक जागरण ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर महेश्वरी से बात की। पेश है साक्षात्कार के अंश...
- कानपुर को औद्योगिक विकास की दृष्टि से समृद्ध करने की क्या योजना है?
-गंगा बैराज पर बसाई जा रही ट्रांस गंगा सिटी, रमईपुर में प्रस्तावित मेगा लेदर क्लस्टर और सेनपूरब पारा में प्लास्टिक पार्क के प्रोजेक्ट मूर्त रूप लेंगे। ये औद्योगिक विकास की दृष्टि से कानपुर के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। यहां बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा। मंधना में भी भूमि अधिग्रहीत की गई थी। इस भूमि पर भी कब्जा लेने की तैयारी है।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत राहत देने की बातें खूब हो रही हैं, मगर सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। ऐसा क्यों?
-मानचित्र पास करने, भूखंड आवंटन की प्रक्रिया समेत 24 सेवाएं ऑनलाइन हो गई हैं। समयबद्ध ढंग से आवेदनों का निस्तारण हो रहा है। बहुत ही जल्द भूखंड की रजिस्ट्री कराने के लिए हम आवंटी के डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग करने लगेंगे। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। इस सुविधा के शुरू होने के बाद रजिस्ट्री कराने हेतु यूपीसीडा कार्यालय में आवंटी को नहीं आना होगा।
- उद्यमियों व आवंटियों को कौन सी नई सुविधाएं देने जा रहे हैं?
-हमने लॉजिस्टिक पार्क और वेयरहाउस को उद्योग का दर्जा दे दिया है। अब व्यावसायिक नहीं, औद्योगिक दर पर भूखंड लोग ले सकते हैं। भूखंडों के अमलगमेशन के लिए अब दोबारा पट्टे की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। अमलगमेशन कराने के लिए वर्तमान दर का पांच फीसद शुल्क देना पड़ता है, लेकिन वर्ष 2004 के पहले के आवंटियों को यह शुल्क नहीं देना होगा।
- औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का विकास न होने का रोना आखिर उद्यमी कब तक रोते रहेंगे ?
-विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास अब पीपीपी मॉडल पर कराने की तैयारी है। अधिशासी अभियंताओं को सड़कों के पैचवर्क, नाला-नाली आदि की मरम्मत के लिए एक निश्चित सीमा तक आकस्मिक व्यय करने का अधिकार दे दिया है। अब ये कार्य भी आसानी से होंगे।
- नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की दिशा में क्या कदम उठा रहे हैं ?
-कानपुर में मेगा लेदर क्लस्टर, प्लास्टिक पार्क, बरेली के बहेड़ी, आगरा, ललितपुर आदि जगहों पर औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की तैयारी है। औरैया के प्लास्टिक पार्क के लिए गेल से कच्चा माल मिलेगा। एमओयू के लिए सहमति बन गई है। ललितपुर में बल्क ड्रग पार्क का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा चुका है। फर्रुखाबाद में टेक्सटाइल पार्क और कन्नौज में इत्र पार्क भी अहम प्रोजेक्ट हैं। ये औद्योगिक क्षेत्र सूबे के औद्योगिक विकास में अहम भूमिका अदा करेंगे। इनमें आने वाले एक साल में करीब दस हजार करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है।
- औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना में भूमि की अनुपलब्धता बड़ी बाधा है। इसे कैसे दूर करेंगे ?
-औरैया समेत कई जिलों में ग्राम समाज की भूमि का पुनग्र्रहण कराया है। भूमि की पर्याप्त उपलब्धता है। अब तो अछल्दा के पास जल्द ही लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना भी होगी। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर कॉरपोरेशन की टीम ने मौके मुआयना भी कर लिया है।
- बड़ी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए आसानी से भूमि आवंटन हो, इसके लिए क्या कर रहे हैं?
-सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक के प्रोजेक्ट के लिए भूखंडों को आपस में जोडऩे के लिए अभी जन आपत्ति का समय 30 दिन था, इसे घटाकर 15 दिन किया है।
- औद्योगिक क्षेत्रों में क्या नया करने की तैयारी है?
-औद्योगिक क्षेत्रों में अब गैस गोदाम, पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट के लिए भूमि आवंटित करेंगे। ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के स्टेशन बन सकेंगे। सीईटीपी व एसटीपी कैंपस में सोलर पावर पार्क आदि की स्थापना की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।