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बुनकरों की स्थिति पर वस्त्रोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव ने रखे विचार, पढ़िए- साक्षात्कार में और क्या-क्या बोले 'रमारमण'

निजी क्षेत्र के सहयोग से कानपुर मेरठ आगरा गोरखपुर वाराणसी व चंदौली में टेक्सटाइल पार्क बनाए जाएंगे। एक टेक्सटाइल पार्क में 250 करोड़ रुपये का निवेश होगा। प्रदेश में 85 प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाने की रूपरेखा तैयार की गई है। इनमें 15 संचालित भी हो चुके हैं।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 09:18 AM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 01:11 PM (IST)
बुनकरों की स्थिति पर वस्त्रोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव ने रखे विचार, पढ़िए- साक्षात्कार में और क्या-क्या बोले 'रमारमण'
बुनकरों की स्थिति पर साक्षात्कार में बोलते हुए रमारमण ।

कानपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप के तहत जगह-जगह टेक्सटाइल पार्क बनाने की कवायद चल रही है। बुनकरों की स्थिति सुधारने के लिए प्रदेश सरकार ने मास्टर प्लान बनाया है। अब दरी, रजाई व तिरपाल समेत अन्य उत्पादों की ब्रांडिंग की जाएगी, जिससे उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय फेम मिलेगा। प्रदेश को टेक्सटाइल हब के रूप में विकसित करने के लिए राज्य सरकार कोशिशें खूब कर रही है। कोशिश है कि यह जल्द मूर्त रूप ले। ये बातें हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव रमारमण ने कहीं। दैनिक जागरण संवाददाता ने उनसे इन योजनाओं का लाभ वस्त्र उद्यमियों व बुनकरों को कब तक मिलेगा, निजी क्षेत्र के सहयोग से टेक्सटाइल पार्क बनाने की योजना कब धरातल पर आएगी आदि मुद्दों पर बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश....

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  •  निजी क्षेत्र के सहयोग से कितने टेक्सटाइल पार्क कहां-कहां बनेंगे और कितने करोड़ का निवेश होगा

-निजी क्षेत्र के सहयोग से कानपुर, मेरठ, आगरा, गोरखपुर, वाराणसी व चंदौली में टेक्सटाइल पार्क बनाए जाएंगे। एक टेक्सटाइल पार्क में 250 करोड़ रुपये का निवेश होगा।

  • उप्र हैंडलूम पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंटिंग पाॅलिसी-2017 के तहत कितने लोगों को लाभ दिया गया।

-पाॅलिसी-2017 के तहत लाभ दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। 35 प्रस्ताव लंबित हैं। इस वित्तीय वर्ष में भुगतान की संभावना है।

  • टेक्सटाइल उद्योगों को दक्ष कार्मिक मिलें, इसके लिए क्या योजना है विभाग के पास

-स्कीम फॉर कैपिसिटी बिङ्क्षल्डग इन टेक्सटाइल सेक्टर (समर्थ) योजना के तहत 20 हजार अभ्यर्थियों को हथकरघा, सिलाई, बुनाई व कताई का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इनमें से 4925 का प्रशिक्षण अप्रैल तक पूरा हो जाएगा। अगले वर्ष एक लाख युवाओं को प्रशिक्षित किए जाने का लक्ष्य है।

  • बुनकरों के स्वास्थ्य और उनके बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए कोई विशेष योजना

-बुनकरों के उत्पादों की ब्रांङ्क्षडग की जाएगी, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया जा सके। बुनकरों के बनाए उत्पाद देश ही नहीं विदेश में भी खूब पसंद किए जाते हैं। जब विदेशी यहां आते हैं तो उनकी नजर ऐसे ही उत्पादों की खरीदारी पर होती है।

  • यूपिका और हैंडलूम जैसी संस्थाएं डूब गईं हैं। इन्हें बचाने के लिए कोई खास योजना तैयार कर रहे हैं या नहीं

- हैंडलूम 280 करोड़ के घाटे में है, जबकि यूपिका 80 से 81 करोड़ के घाटे में चल रहा है। बुनकरों की स्थिति बेहतर करने के लिए उनकी विशेषज्ञता देखी जाएगी और जिसमें वह सर्वाधिक हुनरमंद होंगे उस उत्पाद को ब्रांड बनाया जाएगा।

  • यूपिका की तरह ही कौशल विकास मिशन के तहत सूबे में और कहां-कहां प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेंगे

-प्रदेश में 85 प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाने की रूपरेखा तैयार की गई है। इनमें 15 संचालित भी हो चुके हैं। अगले वित्तीय वर्ष में सभी केंद्रों पर प्रशिक्षण प्रारंभ होने की संभावना है। इनमें अभ्यर्थियों को 300 घंटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

  • प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के रोजगार के लिए सरकार क्या कर रही है

-अभ्यर्थियों को केवल प्रशिक्षण देने तक सीमित नहीं रखा जाएगा। बल्कि उसके बाद उनके रोजगार का इंतजाम भी कराए जाने की योजना है। इसके लिए जिन केंद्रों पर उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वहां के केंद्र प्रभारी व अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है।

  • किस प्रकार रोजगार से जुड़ेंगे युवा

-प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को उद्योगों से रूबरू कराया जाएगा। इसके लिए एक मंच बनाया जा रहा है। इसके अलावा जिन्होंने उद्योग स्थापित कर लिया है वह इन कुशल युवाओं को रोजगार से जोड़ेंगे।

  • स्वरोजगार के लिए उन्हें कैसे प्रशिक्षित किया जा रहा है

-युवाओं को ऐसी मशीनों के बारे में बताया जाता है, जिनकी उपयोगिता औद्योगिक इकाइयों के साथ खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए भी होती है। इनमें ज्यादातर छोटी मशीनें हैं, जिनसे कम बजट में अच्छा उद्योग शुरू किया जा सकता है।

  • टेक्सटाइल सेक्टर को कैसे अपग्रेड किया जाए

-यह सच है कि टेक्सटाइल सेक्टर में बीते वर्षों में कुछ नया नहीं हो रहा है, जिसके चलते नई टेक्सटाइल पॉलिसी लाई गई हैं। इसमें काम करने के उन तरीकों को सिखाए जाने पर फोकस रखा गया है, जो समय की दरकार है। इसके जरिए सिलाई से लेकर मशीनों पर काम करने के नए व आसान तरीके के बारे में युवा सीखेंगे।


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