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Lockdown बना वरदान, चार साल बाद साफ हुआ परिवार का दागदार दामन, बड़ा दिलचस्प है ये किस्सा

अपराध न करके भी पूरा परिवार फंस गया था और एक भाई जेल भी काट चुका था लेकिन कोरोना काल में घर लौटे युवक से जीवनदान मिल गया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 08:57 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 09:26 AM (IST)
Lockdown बना वरदान, चार साल बाद साफ हुआ परिवार का दागदार दामन, बड़ा दिलचस्प है ये किस्सा
Lockdown बना वरदान, चार साल बाद साफ हुआ परिवार का दागदार दामन, बड़ा दिलचस्प है ये किस्सा

कानपुर, जेएनएन। कोरोना काल में लगा लॉकडाउन सिर्फ और सिर्फ लोगों के लिए मुसीबत ही लाया, उसमें चाहे प्रवासियों को घर लौटने की जद्​दोजहद हो या फिर कोरोना से बचाव के लिए ढाइ माह तक घरों में कैद रहकर जीवन काटना रहा हो। लेकिन, इन सभी के बीच कानपुर देहात में रहने वाले एक परिवार के लिए कोरोना काल का लॉकडाउन वरदान साबित हुआ है। उनका दामन अब उस अपराध से साफ हो जाएगा, जो उसने कभी किया ही नहीं था। कोरोना काल में घर लौटे युवक से उसे जीवनदान मिल गया है।

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घर लौटे युवक से मिला जीवनदान

कानपुर देहात के मुनौरापुर गांव का रहने वाला गोविंद मुंबई से आने वाली ट्रेन से लौटा और सीधा गांव आया। यहां 112 नंबर सूचना दी तो पुलिस ने उसे स्नेहलता डिग्री कॉलेज में क्वारंटाइन कराया गया। इस बात की जानकारी जब गांव में रहने वाले सुनील के परिवार को हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। घर में इस कदर खुशियां छा गईं कि जैसे मुंबई से लौटा युवक उनके लिए जीवनदान लेकर आया हो। सुनील के परिवार के लिए देश में लगा लॉकडाउन एक वरदान की तरह साबित हुआ है।

जानें-चार साल पहले हुआ था क्या

मुनौरापुर निवासी सुनील कुमार की रंजिश पड़ोसी रामजीवन कठेरिया से चलती थी। वर्ष 2016 में रामजीवन का 16 वर्षीय बेटा गोविंद घर से लापता हो गया था। जब वह नहीं मिला तो रामजीवन ने बेटे का अपहरण करके हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें सुनील, उनके भाई दीपू, मानसिंह व रीतू को नामजद किया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद सुनील को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था, जबकि उसके भाई गिरफ्तारी के डर से भाग गए थे। दो साल तक जेल में रहने के बाद सुनली को अगस्त 2018 में जमानत मिली और वह रिहा हो सका था।

कोरोना काल में लौटे गोविंद ने बयां की हकीकत

गोविंद के लौटने के बाद सुनील के परिवार में खुशियां लाैट आई हैं। जिस गोविंद के अपहरण के झूठे आरोप में परिवार का दामन दागदार हो गया था, वह जिंदा और सही सलामत मुंबई से घर लौट आया है। स्नेहलता डिग्री कॉलेज में क्वारंटाइन गोविंद ने बताया कि वह घर से चुपचाप अपने साथी दीपू के साथ दिल्ली काम के लिए गया था। वहां से कानपुर लौटने के चक्कर में दूसरी ट्रेन में सवार हो गया और मुंबई पहुंच गया। कई दिन अकेला भटका और फिर मुंबई में चन्नी रोड में एक कैटरिंग चलाने वाले ने उसे काम दिया।

इसके बाद वह वहीं पर काम करने लगा। कुछ महीनों के बाद उसने घर में संपर्क किया तो घर वालों ने उससे कभी गांव न लौटकर आने की बात कही। उसे लगा घर वाले नाराजगी की वजह से उससे ऐसा कह रहे हैं। इसपर वह अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जोड़ता और हर माह घरवालों को रुपये भेजता था। उधर, गोविंद के जिंदा होने की जानकारी के बाद भी वादी पिता ने न तो थाने में सूचना दी और न ही कोर्ट में प्रत्यावेदन दिया। रसूलाबाद थाना प्रभारी तुलसीराम पांडेय ने बताया कि पूरे प्रकरण की जानकारी अब कोर्ट में दी जाएगी, किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा। अब मामले में कोर्ट ही फैसला करेगी।  


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