कन्नौज की तिर्वा कोतवाली में अनोखा मामला, पुलिस हारी तो भैंस ने खुद सुलझाया अपना केस
तिर्वा कोतवाली में तीन लोगों के बीच विवाद को लेकर एसएसआई पांच घंटे तक माथा पच्ची करते रहे लेकिन बाद में भैंस ने प्रकरण को चंद मिनट में निपटा दिया। केस सुलझाने के लिए एसएसआई के तरीके को लेकर चर्चाएं होती रहीं।
कानपुर, जेएनएन। बड़ी चर्चित कहावत है, जिसकी लाठी उसी की भैंस...। यह कहावत रविवार को कन्नौज की तिर्वा कोतवाली में चरितार्थ साबित होती नजर आई, पांच घंटे की माथा पच्ची के बाद पुलिस हार गई तो भैंस पर ही खुद अपना निपटारा छोड़ दिया। पुलिस की अनुमति मिली तो भैंस ने अपना केस खुद ही सुलझा लिया।
रविवार को तिर्वा कोतवाली में अनोखा मामला सामने आया। यहां गुरसहायगंज के मिरगावां के अलीनगर जालंधर निवासी वीरेंद्र दिवाकर ने पुलिस को बताया कि उसकी भैंस शुक्रवार रात चोरी हो गई थी। तलाश करते हुए रविवार को वह कस्बे के अन्नपूर्णा मवेशी बाजार पहुंच गए। यहां एक व्यापारी के पास अपनी भैंस देखी तो उससे पूछताछ की। इसपर तालग्राम के रसूलाबाद निवासी व्यापारी मुस्लिम ने बताया कि उसने भैंस को तालग्राम के माद्यौनगर निवासी धर्मेंद्र से 19 हजार में खरीदी है। इसपर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया मामला कोतवाली तिर्वा पहुंच गए।
भैंस लेकर कोतवाली पहुंचे दोनों लोगों की बातें सुनने के बाद पुलिस ने धर्मेंद्र को भी बुलवाया। भैंस पर धर्मेंद्र और वीरेंद्र अपना अपना मालिकाना हक जताने लगे। पांच घंटे तक कोतवाली में एसएसआइ निपटारे के लिए माथा पच्ची करते रहे लेकिन कोई हल नहीं निकला। इसपर उन्होंने कहा कि भैंस ही अपना मालिक चुनेगी। उनकी बात सुनकर सभी चुप हो गए और उनकी तरफ देखने लगे।
एसएसआइ ने कहा, भैंस जिसके पीछे पीछे चल देगी, उसी की हो जाएगी। उनकी इस बात पर दूसरे पुलिस कर्मी भी आ गए तो धर्मेंद्र और वीरेंद्र भी इस परीक्षा के लिए तैयार हो गए। इसके बाद कोतवाली परिसर में भैंस से करीब 100 मीटर की दूरी पर वीरेंद्र को बायीं और धर्मेंद्र को दायीं ओर खड़ा कराया। इसके बाद भैंस को छोड़ा गया तो दोनों अपनी-अपनी ओर पुचकार कर बुलाते रहे।
सौ मीटर चलने के बाद भैंस धर्मेंद्र के पास पहुंच गई। उपनिरीक्षक ने धर्मेंद्र, वीरेंद्र और पशु व्यापारी के बीच लिखित समझौता कराया। इसके बाद भैंस धर्मेंद्र को सौंप दी। धर्मेंद्र ने भैंस को बिक्री होने के कारण व्यापारी मुस्लिम को दे दिया। कोतवाली प्रभारी इंद्रपाल सरोज ने बताया कि मामले को निपटारे की जिम्मेदारी एसएसआइ को सौंपी थी, भैंस को मालिक चुनने का मौका देने की बात संज्ञान में नहीं है।