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कानपुर देहात का अनोखा फैसला, सजा में दो माह के लिए अभियुक्त कर रहा अस्पताल की सफाई

कानपुर देहात जिला अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने फैसला सुनाया है। अभियुक्त ने भोगनीपुर मुंसिफ कोर्ट के आदेश के खिलाफ सात साल पहले अपील दाखिल की थी। इसपर सुनवाई के बाद कोर्ट ने पूर्व आदेश को निरस्त करते हुए सजा सुनाई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 07:15 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 09:21 AM (IST)
कानपुर देहात का अनोखा फैसला, सजा में दो माह के लिए अभियुक्त कर रहा अस्पताल की सफाई
सफाई को समाजसेवा मान रहा बालमुकंद ।

कानपुर, जेएनएन। वैसे तो कानून की किताब में हर अपराध के लिए अलग-अलग सजा मुकर्रर की गई है लेकिन कानुपर देहात की अदालत ने 25 साल पहले हुए एक अपराध में अभियुक्त को अनोखी सजा का फरमान सुनाया है। अभियुक्त को बतौर सजा अस्पताल में दो माह तक झाड़ू लगानी और परिसर की सफाई करनी है। इस सजा को अभियुक्त भी प्रेरणा मानकर पूरी कर रहा है और समाजसेवा के नजरिए से देख रहा है। हालांकि उसने अपराधा कारित न करने का दावा करते हुए पूर्व की अदालत के फैसले पर अपील की थी, जिसपर यह सजा सुनाई गई है। लेकिन, अब उसने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील का मन छोड़ दिया और सजा पूरी करने की बात कही है और वह नियमित रूप से समय पर स्वस्थ्य केंद्र पहुंचकर सफाई कर रहे हैं। 

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करीब 25 साल पहले जालौन के इकौना गांव निवासी बालमुकुंद के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज हुआ था। वर्ष 1996 में कानपुर देहात के नगवां गांव में वह रिश्तेदार के घर गया था, जहां पर रहने वाले फूलसिंह ने उसपर मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने जांच के बाद उसके विरुद्ध आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया था। भोगनीपुर की मुंसिफ कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई पूरी करते हुए फूल सिंह की गवाही एवं साक्ष्यों के आधार पर बालमुकुंद और उसके रिश्तेदार को दोषी करार देते हुए चार-चार साल की कैद की सजा सुनाई थी।

खुद पर लगे आरोप को गलत करार देते हुए बालमुकुंद ने मुंसिफ कोर्ट के फैसले को अपत्र सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। अपर सत्र न्यायालय में सात साल तक मामले की सुनवाई चली। बीते दिनों कानपुर देहात जिला अपर सत्र न्ययाधीश की कोर्ट ने अनोखा फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व का फैसला निरस्त करते हुए बालमुकंद को अपराध का दोषी मानते हुए घर के नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में दो माह तक सफाई करने की सजा सुनाई है। इस सजा पर बालमुकुंद का कहना है कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, यह सजा उसके लिए सुधार और प्रेरणास्वरूप है। वह अब हाईकोर्ट में सजा को चुनौती नहीं देंगे। दो माह तक रोजाना अस्पताल की सफाई करके समाजसेवा के रूप में सजा को पूरी कर रहे हैं।


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