ट्रेन के डिब्बे में रखे थैला में पांच दिन की बच्ची मिलने से लोग हैरान
कानपुर में खजुराहो पैसैंजर ट्रेन के डिब्बे में जीआरपी चौकी इंचार्ज चैकिंग कर रहे थे तभी उनकी नजर एक लावारिस थैले पर पड़ी। थैले में उन्हें कुछ हलचल महसूस हुई।
कानपुर (जेएनएन)। सरकार भले ही बेटी बढाओ, बेटी पढाओ के अभियान में लगी हैं, लेकिन लोग अभी भी बच्चियों को अभिशाप ही समझते हैं। कानपुर में कोई एक थैला में नवजात को छोड़ गया था, थैला अचानक हिलने से ट्रेन में बैठे लोग हैरान होकर भागने लगे। इसी बीच बच्ची का रोना सुनकर लोगों ने उसे गले लगाकर चौकी इंचार्ज को सौंप दिया।
कानपुर में खजुराहो पैसैंजर ट्रेन के डिब्बे में जीआरपी चौकी इंचार्ज चैकिंग कर रहे थे तभी उनकी नजर एक लावारिस थैले पर पड़ी। थैले में उन्हें कुछ हलचल महसूस हुई। उन्होंने थैले को खोला तो अंदर के पांच दिन की बच्ची थी। चौकी इंचार्ज ने इसके बाद बच्ची को चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया। फिलहाल बच्ची का इलाज हैलेट अस्पताल में चल रहा है।
कानपुर में गोविन्दपुरी स्टेशन में बनी जीआरपी चौकी के इंचार्ज अमित के मुताबिक शनिवार को स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर खजुराहो पैसेंजर (54161) खड़ी थी. उन्होंने कहा कि मैं उधर से गुजर रहा था, मेरी नजर एक सफ़ेद रंग के झोले पर पड़ी। उसके अन्दर कोई हलचल थी, मुझे शक हुआ तो मैंने पास जाकर देखा। जब मैंने झोले में देखा तो मैं हैरान रह गया। उन्होंने कहा कि झोले में बेहद छोटी की बच्ची भूखी-प्यासी थी। होंठ प्यास की वजह से सफेद थे, मैंने उसे झोले से बाहर निकाला और उसे पानी पिलाया तब उसे राहत मिली। मैंने इसकी सूचना चाइल्ड लाइन और जीआरपी इन्स्पेक्टर को दी। मौके पर पहुंची चाइल्ड लाइन की संगीता सचान उसे हैलट अस्पताल के बाल रोग विभाग में भर्ती कराया। वह बच्ची एनआईसीयू में है। उसका वजन महज डेढ़ किलो है। संगीता सचान के मुताबिक यह बच्ची मात्र चार से पांच दिन की है। किसी ने थैला में डालकर ट्रेन के डिब्बे में रख दिया।
चाइल्ड लाइन के निदेशक कमल कान्त तिवारी के मुताबिक किसी ने लोकलाज के डर से या फिर लड़की होने की वजह से इसे छोड़ा है। इस बच्ची के विषय में बाल कल्याण न्यायपीठ को लिखित पत्र के माध्यम से सूचना दे दी गयी है।