मंधना में नहीं होगी औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना, किसानों को वापस होगी 801 एकड़ भूमि
इंटीग्रेटेड टाउनशिप बसाने के लिए ली गई थी आठ गांवों की जमीन अधिग्रहीत की गई थी। किसान पूर्व समझौते के आधार पर मुआवजा लेने के लिए तैयार नहीं हुए।
By Edited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 05:25 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 05:29 PM (IST)
कानपुर (दिग्विजय सिंह)। मंधना में अब औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना नहीं होगी। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) प्रबंधन ने किसानों को अधिग्रहीत भूमि वापस करने का निर्णय लिया है। किसान चार गुना मुआवजा की मांग पर अड़े हैं। अगर इस पर सहमति बनती है तो 801.603 एकड़ भूमि के लिए 617 करोड़ रुपये बांटने होंगे जो प्रबंधन के लिए फिलहाल संभव नहीं है। यही वजह है कि प्रबंध निदेशक ने अधिग्रहण की अधिसूचना रद करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।
इंटीग्रेटेड टाउनशिप की स्थापना के लिए 10 साल पहले मंधना के पास पेम, पचोर समेत आठ गांवों की भूमि अधिग्रहीत की गई थी। प्रबंधन ने छह अक्टूबर 2009 से 16 जुलाई 2011 तक 81 करोड़ रुपये प्रशासन को मुआवजा बांटने के लिए दिए। सात लाख रुपये प्रति बीघा की दर से तमाम किसानों को मुआवजा भी बंटा। यूपीएसआइडीसी ने 791.485 एकड़ भूमि पर कब्जा भी लिया। शेष पर कब्जा लेने की तैयारी चल रही थी कि किसानों ने वर्ष 2011 में अधिग्रहीत भूमि पर कब्जा कर लिया।
आज तक वे भूमि पर खेती कर रहे हैं। कई दौर की बातचीत के बाद भी किसान पूर्व समझौते के आधार पर मुआवजा लेने के लिए तैयार नहीं हुए। यही वजह है कि प्रबंधन ने भूमि किसानों को वापस करने का निर्णय ले लिया। अब एमडी राजेश कुमार सिंह ने प्रस्ताव औद्योगिक विकास विभाग के सचिव को भेज दिया है। शासन से जल्द मंजूरी के संकेत मिले हैं। मंधना की तरह अन्य विवादित क्षेत्रों में भी प्रबंधन भूमि वापस कर सकता है। इन गांवों की ली गई भूमि कुकरादेव, शादीपुर, विरतियान बिठूर, पचोर, भवानीपुर, बहलोलपुर, पेम, बगदौदी बांगर।
इंटीग्रेटेड टाउनशिप की स्थापना के लिए 10 साल पहले मंधना के पास पेम, पचोर समेत आठ गांवों की भूमि अधिग्रहीत की गई थी। प्रबंधन ने छह अक्टूबर 2009 से 16 जुलाई 2011 तक 81 करोड़ रुपये प्रशासन को मुआवजा बांटने के लिए दिए। सात लाख रुपये प्रति बीघा की दर से तमाम किसानों को मुआवजा भी बंटा। यूपीएसआइडीसी ने 791.485 एकड़ भूमि पर कब्जा भी लिया। शेष पर कब्जा लेने की तैयारी चल रही थी कि किसानों ने वर्ष 2011 में अधिग्रहीत भूमि पर कब्जा कर लिया।
आज तक वे भूमि पर खेती कर रहे हैं। कई दौर की बातचीत के बाद भी किसान पूर्व समझौते के आधार पर मुआवजा लेने के लिए तैयार नहीं हुए। यही वजह है कि प्रबंधन ने भूमि किसानों को वापस करने का निर्णय ले लिया। अब एमडी राजेश कुमार सिंह ने प्रस्ताव औद्योगिक विकास विभाग के सचिव को भेज दिया है। शासन से जल्द मंजूरी के संकेत मिले हैं। मंधना की तरह अन्य विवादित क्षेत्रों में भी प्रबंधन भूमि वापस कर सकता है। इन गांवों की ली गई भूमि कुकरादेव, शादीपुर, विरतियान बिठूर, पचोर, भवानीपुर, बहलोलपुर, पेम, बगदौदी बांगर।
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