बड़ी नदियां सूखने पर भी जिंदा रही सिंधु घाटी सभ्यता
जागरण संवाददाता, कानपुर : यह आम धारणा है कि हिमालय से निकलने वाली बड़ी नदियों के आस-पास क
जागरण संवाददाता, कानपुर :
यह आम धारणा है कि हिमालय से निकलने वाली बड़ी नदियों के आस-पास के क्षेत्रों में सिंधु घाटी सभ्यता व उसके नगरों का विकास हुआ। इन नदियों के सूखने के साथ ही यह सभ्यता समाप्त हो गई लेकिन, ऐसा नहीं है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर व इंपीरियल कॉलेज लंदन ने छह साल के शोध के बाद यह साबित किया है कि बड़ी नदियां सूखने के बाद भी यह सभ्यता तीन हजार साल तक जिंदा रही। छोटी नदियों के सहारे वहां के बाशिंदे खेती-बाड़ी करके जीवन यापन करते रहे। इस शोध कार्य को अंतरराष्ट्रीय जनरल नेचर कम्यूनिकेशन ने प्रकाशित किया है।
दोनों संस्थानों के अनुसंधान दल ने अध्ययन करने के बाद अब तक की अवधारणा को चुनौती दी है और सिद्ध किया है कि सिंधु घाटी में नगरों का विकास बड़ी नदियों के स्थानातरण के बाद बंद नहीं हुआ था। इस सभ्यता का विकास सिंधु नदी बेसिन के आस-पास के क्षेत्र में हुआ है जिसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान में और कुछ भारत में है। पुरातत्ववेत्ता के अनुसार गंगा-यमुना दोआब, सिंधु नदी एवं पौराणिक सरस्वती नदी (जिस चैनल में वर्तमान में घग्गर-हाकरा नदियां बहती हैं) के किनारे अनुसंधान दल ने सिंधु घाटी सभ्यता की नगरीय व्यवस्था की खोज की है। आइआइटी के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव सिन्हा के नेतृत्व में अध्ययन दल ने यह शोध कार्य किया है।
---
सतलज नदी ने रास्ता बदलने से पहले किया घाटी का निर्माण
अध्ययन दल ने दो महत्वपूर्ण तथ्य अपने विश्लेषण के दौरान पाए। पहला, घग्गर-हाकरा रिवर चैनल की गाद का विश्लेषण करके यह पाया कि इस चैनल में सतलज नदी बहा करती थी। इस नदी ने अपना रास्ता बदलने से पहले घाटी का निर्माण कर दिया जिससे मानसूनी नदियों को बहने का रास्ता मिल गया जो इस चैनल में बहती रहीं । दूसरा, अध्ययन दल ने यह भी पता लगाया कि सतलज नदी ने सिंधु घाटी सभ्यता के इस क्षेत्र में विकसित होने से पहले अपने पुराने रास्ते में बहना बंद कर दिया था। डाटा विश्लेषण के बाद टीम ने पाया कि इस चैनल में बहने वाली बड़ी नदियों ने आठ हजार साल बाद बहना बंद कर दिया था। वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए राजस्थान के कालीबंगा की गाद का भी विश्लेषण किया।
-------------------
'यह अध्ययन इस बात को खारिज करता है कि जब सिंधु घाटी सभ्यता इस क्षेत्र में पनप रही थी तब हिमालय की बड़ी नदियां इस क्षेत्र में बहा करती थीं। सतलज नदी के बनाए गए रास्ते पर मानसूनी नदिया बहा करती थीं। घाटी में बाढ़ की संभावना कम थी और नगरों के बसने के लिए अनुकूल वातावरण था। इस शोध के पूरा होने के बाद इतिहासकार व दर्शनशास्त्रियों से भी इस पर चर्चा की गई है।'
प्रो. राजीव सिन्हा, अध्ययन दल नेतृत्वकर्ता व वरिष्ठ प्रोफेसर आइआइटी कानपुर