इसके लिए एम्सटर्डम में 27 जून को एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यही नहीं, कारपोरेट कंपनियों के आंकड़ों का सत्यापन सही हो रहा है या नहीं, इसका पता करने के लिए भारतीय सीए संवर्ग में लागू यूनिक आइडेंटीफिकेशन डाक्यूमेंट नंबर (यूआइ़डीएन) की व्यवस्था लागू करने के लिए भी कई देश आइसीएआइ से बातचीत कर रहे हैं। डिजिटल काम्पीटेंसी एंड मैच्योरिटी माडल लागू करने वाला भारत पहला देश है।
यह स्व नियमन मॉडल है। इस मॉडल में तीस प्रश्न हैं। सीए कंपनी इसका जवाब देती हैं और साफ्टवेयर इनके उत्तर के आधार पर नंबर देता है। इस नंबर के आधार पर ही मॉडल बताता है कि चार्टर्ड अकाउंटेंट कंपनियां डिजिटली कितनी मजबूत और संसाधनों से लैस हैं।
यूरोपीय यूनियन के सीए संबंध में यूनाइडेट किंगडम के एम्सटर्डम में इस मॉडल को लांच करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में आइसीएआइ की डिजिटल अकाउंटिंग एंड एश्योरेंस बोर्ड की टीम भी शामिल होगी। इसका नेतृत्व बोर्ड के चेयरमैन कानपुर निवासी मनु अग्रवाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि डीसीएम मॉडल के साथ वहां कई देशों के साथ यूआइडीएन पर अंतिम दौर की वार्ता भी होनी है। बीती बातचीत में कई देशों ने यूआइडीएन लेने पर सैद्धांतिक सहमति जताई है।
भारत में लागू होगा वर्जन-2
यूरोपीय देश 27 जून को इस मॉडल का पहला वर्जन लागू करेंगे। वहीं भारत में जुलाई तक इस मॉडल का वर्जन-2 लागू हो जाएगा। आइसीएआइ इसे तेजी से अंतिम रूप दे रहा है।
यूरोपीय देश आइसीएआइ का डीसीएम मॉडल लागू करने जा रहे हैं। इसके साथ ही वहां यूआइडीएन पर भी चर्चा होगी। इस सिस्टम से भारत में सीए के फर्जी प्रमाणपत्र पर रोक लगी है। कई देश इसे लेने को तैयार हैं। - मनु अग्रवाल, चेयरमैन, आइसीएआइ डिजिटल अकाउंटिंग एंड एश्योरेंस बोर्ड।
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