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अब शताब्दी, श्रमशक्ति एक्सप्रेस में फेल नहीं होंगे एसी, एलएचबी कोच वाली 16 ट्रेनों में व्यवस्था

ट्रेन के दोनों छोर पर जेनरेटर लगाकर एसी लाइट और पंखे के लिए बिजली दी जाती रही है इसमें डीजल की अधिक खपत हो रही थी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 06:42 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 06:42 AM (IST)
अब शताब्दी, श्रमशक्ति एक्सप्रेस में फेल नहीं होंगे एसी, एलएचबी कोच वाली 16 ट्रेनों में व्यवस्था
अब शताब्दी, श्रमशक्ति एक्सप्रेस में फेल नहीं होंगे एसी, एलएचबी कोच वाली 16 ट्रेनों में व्यवस्था

कानपुर, जेएनएन। गर्मी में अचानक एसी फेल होने पर यात्रियों के हंगामे और पैसे वापसी की मांग जैसी खबरें हमने खूब सुनी हैं, अब यह गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। दरअसल, रेलवे ने आधुनिक प्रणाली हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) इस्तेमाल करना शुरू किया है। इससे ओएचई से मिलने वाली बिजली का एक हिस्सा सीधे प्रयोग कर कोच की बिजली, पंखे, एसी चलाए जाएंगे। यह सुविधा एलएचबी कोच में शुरू की गई है। इससे उत्तर मध्य रेलवे को प्रतिवर्ष 75 हजार लीटर डीजल की बचत होगी और ट्रेनों में जेनरेटर कार भी नहीं लगाने होंगे। प्रक्रिया को आधुनिक बनाने में कानपुर लोको शेड के इंजीनियरों का भी योगदान रहा है।

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ट्रेन के कोच में लाइट, पंखे, एसी और दूसरे ऑन बोर्ड उपकरणों को बिजली देने के लिए ट्रेन के दोनों छोर पर जनरेटर कार लगाए जाते थे। इसमे अधिक डीजल की खपत होती है। ट्रेने में अतिरिक्त स्थान घेरने के साथ ही ये जेनरेटर सेट प्लेटफार्म पर तेज आवाज करते हैं और प्रदूषण की दृष्टि से भी अनुकूल नहीं होते हैं। ऐसे में रेलवे ने कोच में बिजली आपूर्ति के लिए इनकी निर्भरता खत्म कर दी है। अब एलएचबी कोच में बिजली की आपूर्ति आधुनिक प्रणाली एचओजी के माध्यम से की जाएगी। उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अमित मालवीय ने बताया कि आधुनिक प्रणाली एचओजी के माध्यम से कोच की बिजली, एसी चलाए जाएंगे जिससे अब एसी फेल होने जैसी घटनाओं पर विराम लगेगा।

शताब्दी, श्रमशक्ति समेत 16 ट्रेनों में हुई व्यवस्था

शताब्दी, श्रमशक्ति, हमसफर, प्रयागराज समेत 16 ट्रेनें अब नई आधुनिक प्रणाली के तहत ही चलायी जाएंगी। जेनरेटर की जगह खाली होने से वहां पार्सल व दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कोच लगाए जा सकेंगे।

परीक्षण में भी नहीं आएगी समस्या

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक लोकोमोटिव और कोङ्क्षचग रेक का मेंटीनेंस अलग-अलग स्थानों पर किया जाता था। ऐसे में एचओजी सिस्टम का संयुक्त परीक्षण करने के लिए दोनों को जोडऩा जरूरी है। इससे किसी भी तरह की खराबी होने पर ट्रेन के विलंबित होने की संभावना बढ़ जाती है। यह कमी दूर करने के लिए कानपुर के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड के इंजीनियरों ने टेस्ट स्विच का विकल्प खोजा। अब लोकोमोटिव के एचओजी कनवर्टर के परीक्षण के लिए उसे रेक से जुड़े रहने की जरूरत नहीं होगी। 


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