Mahabodhi Express Train Issue: दिल्ली-हावड़ा रूट सामान्य होने में लगा समय, कानपुर देहात में ट्रैक पर हुआ था हादसा
Mahabodhi Express Train Issue बुधवार शाम 510 बजे डाउन ट्रैक पर महाबोधि एक्सप्रेस के इंजन से टकराकर सांड़ हवा में उछलकर ओएचई (ओवरहेड इलेक्ट्रिक) लाइन के कैंटिलिवर (तार को जोड़े रखने वाला एंगल) से टकराया था। इससे छह पोल के तार टूट गए थे और पोल तिरछा हो गया था।
कानपुर देहात, जेएनएन। Mahabodhi Express Train Issue महाबोधि एक्सप्रेस से सांड़ टकराने से आठ घंटे बाधित हुआ ट्रेनों का संचालन गुरुवार को भी लडख़ड़ाया रहा। घटनास्थल के पास से काशन देकर ट्रेनों को 30 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गुजारा गया। डाउन ट्रैक पर गुरुवार दोपहर 1.35 घंटे का ब्लाक लेकर मरम्मत की गई। लाइन के तार को कसा गया। ओके होने के बाद यातायात सामान्य हो पाया।
बुधवार शाम 5:10 बजे डाउन ट्रैक पर महाबोधि एक्सप्रेस के इंजन से टकराकर सांड़ हवा में उछलकर ओएचई (ओवरहेड इलेक्ट्रिक) लाइन के कैंटिलिवर (तार को जोड़े रखने वाला एंगल) से टकराया था। इससे छह पोल के तार टूट गए थे और एक पोल तिरछा हो गया था। इससे डाउन ट्रैक पर कई ट्रेनें फंस गई थीं। रात 1:15 बजे मरम्मत हो सकी थी और 1:27 बजे विक्रमशिला एक्सप्रेस को रवाना करने के साथ ही संचालन शुरू हो सका था। इसके बाद से सुरक्षा की दृष्टि से काशन देकर नासरसेड़ा अंडरपास के पास से 30 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनों को निकाला गया। इसकी वजह से हमसफर, रीवा एक्सप्रेस, राजधानी, नई दिल्ली-लखनऊ स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस समेत आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुईं। वहीं गुरुवार दोपहर 2:55 बजे डाउन ट्रैक पर ब्लाक लिया गया। इसके बाद ओएचई स्टाफ ने लाइन के तार दोबारा कसे। सब कुछ सही होने पर 4:30 बजे ब्लाक खत्म कर काशन हटाया गया और ट्रेनें अपनी रफ्तार से गुजरीं। यातायात निरीक्षक फफूंद बीके मीणा ने बताया कि बुधवार रात से लगातार डाउन ट्रैक पर ट्रेनों को झींझक व अंबियापुर स्टेशन के बीच 30 किमी काशन से धीमी गति से निकाला जा रहा था। अब संचालन व्यवस्था सामान्य कर दी गई है।
सांड़ टकराने के वक्त 130 किमी थी महाबोधि की रफ्तार: सांड़ से टकराने के वक्त महाबोधि एक्सप्रेस की रफ्तार 130 किमी प्रतिघंटा थी। इसी वजह से सांड़ 5.80 मीटर ऊंचाई तक उछलकर कैंटिलिवर से टकरा गया था। दरअसल डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने के बाद से लोड घटने पर दिल्ली-हावड़ा ट्रैक पर रफ्तार बढ़ी, लेकिन हादसे रोकने के लिए सुरक्षा के इंतजाम नहीं हुए। स्टेशन मास्टर पुष्पेंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि समय-समय पर कर्मचारी मवेशियों को हटाते रहते हैैं। हालांकि इस हादसे के कारण दिल्ली तक रूट भी प्रभावित रहा और कई ट्रेनें लेट रहीं। वहीं यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा।
दर्ज हुए लोको पायलट व गार्ड के बयान: हादसे को लेकर महाबोधि एक्सप्रेस के लोको पायलट बीडब्ल्यू टिग्गा, गार्ड वीसी सोनकर और स्टेशन मास्टर झींझक पुष्पेंद्र सिंह से बयान दर्ज किए गए। यातायात निरीक्षक फफूंद बीके मीणा, पीडब्ल्यूआइ सियाराम ङ्क्षबद, एसएसई ओएचई वीके दुबे व आरपीएफ अधिकारियों ने रफ्तार, बचाव के प्रयास आदि के बारे में जानकारी ली गई। इसकी रिपोर्ट प्रयागराज मंडल मुख्यालय भेजी गई है।
दो-तीन वर्ष में हो सकेगी गार्डिंग: अभी फिलहाल ट्रैक पर गार्डिंग करने की कोई व्यवस्था नहीं है। रेलवे की तरफ से दो से तीन वर्ष के भीतर इस पर गार्डिंग करने का लक्ष्य रखा गया है। जब यह पूरा हो जाएगा तो यही ट्रैक 160 की क्षमता का हो जाएगा। इसमें सिग्नल समेत दूसरे सुधार भी किए जाएंगे।
इनका ये है कहना:
मवेशी टकराने से इतनी बड़ी समस्या पहली बार हुई है। घटनाएं रोकने के लिए गार्डिंग कराई जाएगी। मरम्मत कम से कम समय में हो और यात्रियों को कम असुविधा हो, इसका ख्याल रखकर तंत्र विकसित किया जाएगा। - अमित कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल