Move to Jagran APP

जानें, स्वच्छ गंगा के लिए हरिद्वार से राफ्टिंग पर निकलीं बछेंद्री पाल को किससे मिली प्रेरणा

एवरेस्ट विजेता पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल ने कहा, गंगा को स्वच्छ बनाने की पहल हमारी है, भागीदारी सबकी चाहिए। आठ एवरेस्टियन की टीम के साथ जागरूकता के लिए निकली हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 11:37 AM (IST)
जानें, स्वच्छ गंगा के लिए हरिद्वार से राफ्टिंग पर निकलीं बछेंद्री पाल को किससे मिली प्रेरणा
जानें, स्वच्छ गंगा के लिए हरिद्वार से राफ्टिंग पर निकलीं बछेंद्री पाल को किससे मिली प्रेरणा

कानपुर (अम्बर बाजपेयी)। प्रथम भारतीय महिला एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल का कहना है कि गंगा की सफाई एवरेस्ट फतह करने से कम नहीं है। हमने इसके लिए पहल की है भागीदारी सबकी चाहिए, तभी इस मुहिम को मुकाम तक पहुंचाया जा सकता है। ज्यादा कुछ नहीं करना है बस अपनी सोच बदलनी है और संकल्प लेना है कि गंगा मैली नहीं करेंगे। वह शनिवार को फर्रुखाबाद में थीं, रविवार को कानपुर के लिए रवाना होंगी।

loksabha election banner

स्वच्छता हमारे खून में है

नेशनल मिशन फॉर क्लीनिंग के तहत हरिद्वार से राफ्टिंग कर जागरूकता यात्रा शुरू करने वाले 40 सदस्यीय दल का नेतृत्व कर रही बछेंद्री ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा कि स्वच्छता हमारे खून में है। 1993 में जब एवरेस्ट पर गए तो वहां से 500 किलो कचरा स्वेच्छा से वापस लाए थे। अब तो यह हर पर्वतारोही के लिए आवश्यक कर दिया गया है। उसके बाद से समय-समय पर सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करते रहते हैं।

टीम में शामिल हैं आठ एवरेस्टियन

एवरेस्ट विजेता ने बताया कि 40 सदस्यीय टीम में हेमंत गुप्ता, राजेंद्र सिंह पाल, प्रेमलता अग्रवाल, स्वर्णलता दलाई, पूनम राना, चेतना साहू हैं, ये सभी एवरेस्ट फतह कर चुके हैं। इसके अलावा कई आइआइटियन, पर्यावरणविद् और रेडियो जॉकी शामिल हैं। टीम में तकरीबन 30 सदस्य टाटा स्टील से जुड़े हैं। इस नेक काम के लिए कंपनी ने बाकायदा इन्हें एक महीने की छुट्टी भी दी है।

जिंदगी एवरेस्ट की तरह

उन्होंने कहा कि जिंदगी एवरेस्ट की तरह ही है। हर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष है, जो जिंदगी जीने का सलीका सिखाता है। 1981 में जब मैंने भी पर्वतारोहण की ट्रेनिंग शुरू की थी तो तमाम लोगों ने विरोध किया था। मां बहुत दुखी होती थी पर मैंने लक्ष्य साधा और उसे हासिल किया।

बदलाव आ रहा है

हरिद्वार से फर्रुखाबाद तक के अनुभव साझा करते हुए वह कहती हैं कि बदलाव आ रहा है। पहले लोग सोचते थे कि गंगा सफाई में मेरा कोई मतलब है लेकिन अब लोग खुद इसमें जुट रहे हैं। कानपुर में भी मुझे इसी तरह लोगों से सहयोग मिलने की उम्मीद है।

प्रकृति मेरा क्लासरूम

टाटा स्पोट्र्स एंडवेंचर फाउंडेशन की डायरेक्टर बछेंद्री पाल ने कहा कि मेरा क्लासरूम प्रकृति है। मैं इसी से सीखती हूं और इसी को सिखाती हूं। पटना में 30 अक्टूबर को जागरूकता यात्रा समापन होने के बाद भी समय-समय पर अभियान जारी रहेगा।

सफाई के लिए प्रधानमंत्री से हुईं प्रेरित

गंगा सफाई की ये मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर शुरू की क्योंकि वह खुद झाड़ू उठाकर लोगों को सफाई की प्रेरणा देते हैं। इसे दो साल पहले शुरू करने वाले थे लेकिन तब किन्हीं कारणवश इसे आगे बढ़ा दिया गया। इससे पहले 1994 में भी महिलाओं के साथ हरिद्वार से कोलकाता तक 40 दिनों की यात्रा कर लोगों को गंगा की सफाई के प्रति जागरूक किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.