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Lockdown Effect: लघु उद्यमियों ने उप मुख्यमंत्री काे पत्र लिखकर बताई पीड़ा, 300 करोड़ की मांग

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने उद्योगों का करोड़ों का भुगतान रुका होने की जानकारी दी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 05:42 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 09:37 AM (IST)
Lockdown Effect: लघु उद्यमियों ने उप मुख्यमंत्री काे पत्र लिखकर बताई पीड़ा, 300 करोड़ की मांग
Lockdown Effect: लघु उद्यमियों ने उप मुख्यमंत्री काे पत्र लिखकर बताई पीड़ा, 300 करोड़ की मांग

कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के कारण उत्पादन बंद होने से उद्यमियों की हालत बहुत खराब है। एमएसएमई के दायरे में आने वाले उद्यमियों ने अपनी आíथक स्थिति बेहतर करने के लिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को पत्र लिखकर रुके भुगतान को जल्द कराने की मांग की है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) ने पत्र के साथ उन सौ उद्यमियों का ब्योरा भी भेजा है जिनका भुगतान रूका हुआ है। इन औद्योगिक इकाइयों के 300 करोड़ रुपये सरकारी व उनके उपक्रमों में रुके हुए हैं।

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एमएसएमई के प्रमुख सचिव से आइआइए की वार्ता

इनमें कानपुर की भी कई औद्योगिक इकाइयां शामिल हैं। हाल ही में एमएसएमई के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के साथ आइआइए के पदाधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वार्ता हुई थी जिसमें उन्होंने लंबित भुगतानों का ब्योरा मांगा था। आइआइए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने बताया कि शहर में ऐसी कई छोटी औद्योगिक इकाइयां हैं जिनके पास लॉक डाउन के कारण तरलता (धन) की कमी हो गई है। उनके भुगतान काफी समय से सरकारी व गैर सरकारी विभागों में लटके हुए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज कुमार ने उप मुख्यमंत्री से 15 दिनों के अंदर उद्यमियों को यह भुगतान कराए जाने की मांग की है।

उत्पादन ठप, पेमेंट भी रुकी

कोरोना महामारी के कारण औद्योगिक इकाइयां का उत्पादन 15 मार्च से प्रभावित होने लगा था। 25 मार्च तक गतिविधियां पूरी तरह बंद हो गईं। लॉक डाउन के कारण बंद पड़े उद्योगों में उत्पादन बंद है जबकि जो उत्पाद बेचा जा चुका है उसकी पेमेंट भी रुकी हुई है। आधा अधूरा तैयार माल इकाइयों में पड़ा हुआ है जबकि बैंक का ब्याज चालू है। उद्यमियों की मांग है कि जिस प्रकार निर्माणकíमयों के लिए सहायता पैकेज की घोषणा की गई है उसी प्रकार एमएसएमई उद्योगों के लिए भी पैकेज की घोषणा की जाए। शहर में 17 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं जिनमें से ज्यादातर एमएसएमई के दायरे में आती हैं।


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