IIT Kanpur में मेडिकल साइंस की पढ़ाई, 247 एकड़ में बनेगा पहला सुपर-स्पेशियलिटी टीचिंग हॉस्पिटल
आइआइटी कानपुर अब स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी अग्रणी बनने को तैयार है। यहां स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी के डिजाइन को होसमैक परामर्शदाता कंपनी बनाएगी। पूर्ण चिकित्सा केंद्र होने के साथ अपनी तरह का पहला टीचिंग अस्पताल होगा।
कानपुर, जेएनएन। देश को बेहतरीन टेक्नोक्रेट देने वाला आइआइटी अब स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी अपना सिक्का जमाएगा। संस्थान 247 एकड़ में अपना मेडिकल कॉलेज बनाने जा रहा है। स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी को डिजाइन करने के लिए आइआइटी ने एशिया की नामचीन हेल्थकेयर प्रबंधन और योजना परामर्शदाता कंपनी होसमैक नियुक्त की है। इसका जिम्मा कंपनी के प्रबंध निदेशक डॉ. विवेक देसाई को दिया गया है।
मरीजों के इलाज संग दवाओं पर भी होगा शाेध
यहां पर नई दवाओं पर शोध कार्य किए जाने के साथ मरीजों का इलाज भी होगा। परियोजना के पहले चरण में कार्डियोलॉजी,कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी व सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी व आंकोलॉजी समेत अन्य स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होगी। पूर्ण चिकित्सा केंद्र होने के साथ यह अपनी तरह का पहला सुपर स्पेशियलिटी टीचिंग अस्पताल होगा।
बड़ी बात यह है कि न्यूरोलॉजी, आर्थोपैडिक, लिवर, किडनी व कैंसर जैसे रोगों के इलाज के लिए यहां इंजीनियरिंग की मदद से नए-नए उपकरण व दवाएं विकसित की जाएंगी। ऑपरेशन के जरिए मरीजों को लगाए जाने वाले इंप्लांट व जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनें बनाए जाने को लेकर शोध भी किया जाएगा। आइआइटी के जाने माने आर्किटेक्ट पद्मश्री अच्युत कानविंडे ने एक हजार एकड़ क्षेत्रफल में डिजाइन किया था, जिसमें से 247 एकड़ में अस्पताल का डिजाइन तैयार किया जाएगा।
इंजीनियरिंग इन मेडिसिन कोर्स चलाया जाएगा
आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि चिकित्सा और इंजीनियरिंग में विलय करने की योजना के तहत स्कूल ऑफ रिसर्च एंड मेडिकल टेक्नोलॉजी की स्थापना की जाएगी। मेडिकल स्नातक के छात्रों को यहां इंजीनियरिंग इन मेडिसिन पाठ्यक्रम में दाखिला मिलेगा। इससे मेडिकल स्नातक छात्र इंजीनियरिंग विषयों में भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। रिसर्च एंड डेवलपमेंट इसका सबसे सशक्त भाग होगा। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के साथ मिलकर दवा व इंजीनियरिंग दोनों में शोध कार्य होंगे।
परियोजना के दूसरे चरण में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी। होसमैक के प्रबंध निदेशक डॉ. विवेक देसाई ने बताया कि इस मेडिकल कॉलेज को इस प्रकार से डिजाइन किया जाएगा, जिससे चिकित्सा प्रौद्योगिकी में नवाचार किया जा सके। इसका बड़ा लाभ यह होगा कि रोगियों की स्थानीय आवश्यकताएं पूरी हो सकेंगी।