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पहाड़ी सरहदों पर सैनिकों को नहीं सताएगी सर्द हवा, माइनस 40 डिग्री सेल्सियस पर भी मिलेगी गर्मी

डीआरडीओ की दिल्ली की डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फीजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज लैब ने भी मान्यता दी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 09:28 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 01:19 PM (IST)
पहाड़ी सरहदों पर सैनिकों को नहीं सताएगी सर्द हवा, माइनस 40 डिग्री सेल्सियस पर भी मिलेगी गर्मी
पहाड़ी सरहदों पर सैनिकों को नहीं सताएगी सर्द हवा, माइनस 40 डिग्री सेल्सियस पर भी मिलेगी गर्मी

कानपुर, [विक्सन सिक्रोड़िया]। सरहद पर निगहबानी करने वाले सैनिकों पर अब सर्द हवा नहीं सताएगी। सियाचिन व लद्दाख की पहाड़ियों पर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी वे सामान्य रूप से रह सकेंगे। बर्फीली जगहों पर सैनिकों को अब हिमतापक बुखारी गर्मी देगा और वो अपने बंकर में सामान्य तापमान का एहसास कर सकेंगे। डीआरडीओ की लैब से मान्यता मिलने के बाद इसका उत्पादन भी शुरू हो चुका है।

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डीआरडीओ की लैब ने दी मान्यता

हिमतापक बुखारी के सफल परीक्षण के बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की दिल्ली स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फीजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज लैब ने एक माह पहले मान्यता दे दी है। पांच हजार उपकरण तैयार भी कर लिए गए हैं। इसी माह दो हजार पीस सीओडी को दिए गए हैं। सैन्य उपकरण बनाने वाले शहर के उद्यमी अमित अग्रवाल ने सौर ऊर्जा, बिजली व केरोसिन तीनों से संचालित होने वाला ऐसा हिमतापक बुखारी विकसित किया है, जिससे 20 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के बंकर व टेंट को गर्म रखा जा सकता है।

बंकर और टेंट में नहीं घटने देगा ऑक्सीजन स्तर

उद्यमी अमित अग्रवाल ने बताया कि हिमतापक बुखारी में लगा चार्जर कंट्रोलर वोल्टेज को नियंत्रित करने के साथ पंखे को भी चलाता है। यही पंखा गर्म हवा बंकर व टेंट में फेंकता है। उपकरण से नीली लौ निकलती है, जो ऑक्सीजन का स्तर घटने नहीं देती है। बंकर में मौजूद सैनिकों को सांस लेने में भी परेशानी नहीं होगी। आग लगने का खतरा भी नहीं रहेगा। इसके पहले प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरण केरोसिन से चलते थे जिनसे हानिकारक कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस निकलने का खतरा बना रहता था।

आग लगने का खतरा नहीं

हिमतापक बुखारी में आग लगने का खतरा नहीं है। पहले बने उपकरणों में हवा के उल्टे दबाव से आग का खतरा रहता था। इसमें चार्जर कंट्रोलर वोल्टेज को नियंत्रित करने के साथ गर्म हवा फेंकने वाले पंखे को भी नियंत्रित रखता है।

सौर ऊर्जा संचालित है उपकरण

अमित अग्रवाल ने बताया कि पहाड़ों पर सैनिकों के टेंट गर्म करने वाले उपकरण मिट्टी के तेल से संचालित हैं क्योंकि विद्युत उपलब्धता नहीं है। हिमतापक बुखारी को सौर ऊर्जा और विद्युत दोनों से संचालित किया जा सकता है। इसके लिए 20 वाॅट का सोलर पैनल लगाया गया है, इससे 50 फीसद मिट्टी का तेल बचा सकते हैं।

खाना भी बना सकेंगे

हिमतापक बुखारी में कुकिंग स्टैंड भी लगाया गया है। इस पर कुकर से दाल, चावल व खिचड़ी आदि भी बनाई जा सकती है। बंकर व टेंट में रहने वाले सैनिकों का भोजन बनाना आसान होगा।


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