कोरोना से ठिठके रक्षा उद्योगों को सेना ने दी संजीवनी, जानिए-कानपुर में बन रहे कौन से उत्पाद
कानपुर के फैक्ट्रियों में भारतीय सैनिकों के लिए कपड़े सोल्जर हॉट सूट ग्रीस ऑयल तंबू और बंकर गर्म रखने से लेकर खाना बनाने के उपकरणों की मांग पर उत्पादन किया गया और सेना को आपूर्ति भी गई है।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण को लेकर ठिठके शहर के रक्षा उद्योगों को सेना ने फिर से संजीवनी दी है। उद्यमियों को ऑर्डर मिलने से औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन के साथ ही शोध कार्य भी तेज हुआ है। शहर में सेना के लिए कपड़े, ग्रीस, ऑयल और तंबू आदि उत्पाद बनते हैं।
कोरोना काल में शहर का उद्योग सैन्य उत्पादों को तैयार करने में आगे बढ़ रहा है। 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने से उद्यमियों ने उन सभी उपकरणों और कपड़ों को यहीं बनाना शुरू कर दिया है। प्रदेश में सैन्य उपकरण बनाने वाली 20 से 25 इकाइयां हैं, जिनमें आधा दर्जन कानपुर में हैं। इनमें एंटी माइन बूट, लड़ाकू विमान उपकरण, डिफेंस जैकेट, एल्कोजेल कुकर, डिफेंस हेलमेट व सैन्य हथियारों के छोटे-छोटे पार्ट बनते हैं। इन उत्पादों का निर्यात भी बढ़ा है।
खास बातें
- -मिग, मिराज व सुखोई जैसे लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए कलपुर्जे बनाने में शहर आगे।
- -लिंक सिंक्रोनाइजिंग, कॉलर, रिंग स्पेसर, कपलिंग पीस, बोल्ट सेट, पिन लोकेटिंग और टेंसन रिंग जैसे कलपुर्जे यहां बनते हैं।
- -विशेषज्ञों का मानना है कि रक्षा उत्पाद के स्वदेशीकरण से सरकार का 60 से 70 फीसद खर्च बचेगा।
- -सैनिकों के लिए बर्फीली हवा से बचने के सूट, मिसाइल के लिए ग्रीस, कुकिंग चूल्हा व बंकर गर्म रखने के लिए बुखारी शहर के उद्योगों में बनती हैं।
-एयरफोर्स के लिए ग्रीस और ऑयल बनाने के बाद अब ट्रांसफार्मर ऑयल बना रहे हैं। इस माह 18, 400 लीटर ऑयल एयरफोर्स को भेजा जा रहा है। इसके साथ ही रेलवे पर भी काम कर रहे हैं। पटरी की क्लिप में लगने वाला ऑयल व ग्रीस बना रहे हैं। चार से पांच लाख किलो की आपूर्ति कर चुके हैं। लेह और लद्दाख में एल्कोजेल ईंधन भी भेजा जा रहा है।-विकास अग्रवाल, उद्यमी
-सैनिकों के लिए डिफेंस बूट, बम डिस्पोजल किट व डिफेंस कुकिंग कुकर स्टोव बनाया है। डिफेंस बूट व बम डिस्पोजल किट सैनिकों को सुरक्षा प्रदान करता है, जबकि स्टोव'-60 डिग्री सेंटीग्रेड में भी खान-पान की चीजें बनाने में सक्षम है। इसकी एक खेप जल्द ही सैनिकों के पास भेजी जानी है। -मयंक श्रीवास्तव, उद्यमी