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अब गर्भनाल से लाइलाज बीमारियों का संभव होगा इलाज, जीएसवीएम ने आइसीएमआर से मांगी अनुमति

मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला का कहना है कि गर्भनाल से निकाली गईं स्टेम सेल सबसे कारगर होती हैं। जिनका विभिन्न जन्मजात बीमारियों एवं जटिलतम बीमारियों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इसके इस्तेमाल की फिलहाल अनुमति नहीं है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 10:46 AM (IST)
अब गर्भनाल से लाइलाज बीमारियों का संभव होगा इलाज, जीएसवीएम ने आइसीएमआर से मांगी अनुमति
जीएसवीएम मेडिकल कालेज में स्टेम सेल कमेटी के गठन की प्रक्रिया शुरू।

कानपुर, जागरण संवाददाता। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में स्टेम सेल (मूल कोशिकाओं) से जन्मजात एवं जटिल बीमारियों का इलाज शुरू हो गया है। अब विभाग में रीजनरेटिव मेडिसिन विभाग की स्थापना की तैयारी है। साथ ही स्टेम सेल के एडवांस स्तर गर्भनाल से स्टेम सेल निकालने और उससे इलाज पर रिसर्च होगा। मेडिकल कालेज प्रशासन ने इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च  (आइसीएमआर) को पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई है। साथ ही मेडिकल कालेज प्राचार्य ने मेडिकल कालेज में स्टेम सेल कमेटी के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।  

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मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला का कहना है कि गर्भनाल से निकाली गईं स्टेम सेल सबसे कारगर होती हैं। जिनका विभिन्न जन्मजात बीमारियों एवं जटिलतम बीमारियों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इसके इस्तेमाल की फिलहाल अनुमति नहीं है। इसके लिए मेडिकल कालेज में स्टेम सेल कमेटी के गठन की प्रक्रिया शुरू की गई है। रिसर्च प्रोजेक्ट को कमेटी का अप्रूवल मिलने के बाद दिल्ली स्थित केंद्रीय कमेटी को भेजा जाएगा। इस प्रोजेक्ट को तैयार कर आइसीएमआर को भेजकर अनुमति मांगी गई है। यहां तीन माह के अंदर कार्य शुरू होने की उम्मीद है। रिसर्च प्रोजेक्ट पूरा होने पर उसकी रिपोर्ट भी आइसीएमआर को भेजी जाएगी। इस प्रकार का रिसर्च अभी तक देश में कहीं नहीं हो रही है।

इसे कहते हैं गर्भनाल: कोख में नवजात को नाभि के जरिए मां को जोड़ने वाली नाल को गर्भनाल यानी प्लेसेंटा कहते हैं। शिशु के जन्म के बाद गर्भनाल को काट कर फेंक दिया जाता है। नई खोज ने गर्भनाल महत्ता बढ़ा दी है। गर्भनाल से स्टेम सेल निकाल कर उसकी सहायता से घातक बीमारियों का सफल इलाज किया गया है।

नई उम्मीद है गर्भनाल: गर्भनाल ने नई उम्मीद जगाई है, जो गंभीर एवं लाइलाज बीमारियों से पीडि़त हैं। साथ ही चिकित्सा जगत के लिए चुनौती बने हुए हैं। इसकी मदद से बीमारियों का इलाज ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसके दूरगामी फायदे होंगे। देश के कई बड़े शहरों में गर्भनाल की कोशिकाओं को सुरक्षित रखवा रहे हैं।

दो सौ से अधिक कोशिकाएं होती तैयार: प्राचार्य प्रो. संजय काला का कहना है कि गर्भनाल के खून से निकाली जाने वाली कोशिकाओं को मूल कोशिका कहा जाता है। इन कोशिकाओं से मानव शरीर की दो सौ से अधिक कोशिकाओं को विकसित करने की क्षमता है। स्टेम सेल की खासियत हे कि इनमें जीवन भर विभाजन की क्षमता होती है। अपने इसी गुण की वजह से वह नष्ट हो चुकी या क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं की जगह ले लेती हैं। उस जगह पर नई कोशिकाएं बनने लगती हैं।


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