यूपी चुनाव से पहले करदाताओं को राहत की उम्मीद, कर मुक्ति की सीमा पांच लाख करने की आस
यूपी में चुनाव से पहले आ रहे बजट को लेकर काफी उम्मीदें लगाई गई है। कर मुक्ति की सीमा ढाई लाख रुपये तक है जिसे करदाताओं और टैक्स सलाहकारों के मुताबिक पांच लाख रुपये तक बढ़ा दिया जाना चाहिये।
कानपुर, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को देखते हुए आयोग ने आम बजट पर कोई रोक नहीं लगाई है। इसके चलते आम करदाताओं को उम्मीद है कि चुनाव से पहले उन्हें कर की दरों और करमुक्ति की सीमा में राहत मिल सकती है। फिलहाल ढाई लाख रुपये कर मुक्ति की सीमा है। इस छूट को पांच लाख रुपये के अंदर ही लागू किया जाता है। करदाताओं और टैक्स सलाहकारों का मानना है कि ढाई लाख की करमुक्ति की सीमा को भी पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जाना चाहिए।
नौकरीपेशा लोग एक बार फिर आम बजट से कर में राहत की आस लगाए हुए हैं। बजट विधानसभा चुनावों के बीच पड़ रहा है, इसलिए करदाताओं के साथ टैक्स सलाहकारों को भी उम्मीद है कि इस बार बजट में करों से राहत मिल सकती है। टैक्स सलाहकार शिवम ओमर के मुताबिक नौकरी करने वाले लोग कारोबारियों और पेशेवर लोगों के मुकाबले अपने ऊपर कर का बोझ अधिक महसूस करते हैं क्योंकि कारोबारियों और पेशेवर लोगों को अपने खर्चों की छूट भी मिल जाती है लेकिन वेतन के मामले में ऐसा नहीं है। इसमें पूरी राशि वेतन, महंगाई भत्ता, फीस, कमीशन, बोनस, सुविधाओं के लाभ का सभी कुछ कर योग्य दायरे में शामिल है। उनके अनुसार वेतन की कर योग्य आय की गणना में आवास किराया भत्ता, सुविधाओं के मूल्य की गणना के नियमों में कई विसंगति हैं। इससे वेतनभोगी लोगों पर कर का बोझ बढ़ जाता है। इन विसंगतियों को दूर किया जाए तो करदाता तो राहत महसूस होगी।
दूसरी ओर व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए करमुक्ति की ढाई लाख रुपये की सीमा काफी कम है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के नगर अध्यक्ष राजा भरत अवस्थी के मुताबिक करमुक्ति की इस सीमा को बिना किसी शर्त के पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए। धारा 87ए में पांच लाख रुपये तक करयोग्य आय होने पर आयकर छूट दी गई है। छोटे वेतनभोगी इससे लाभान्वित होंगे लेकिन जिन कर्मचारियों की करयोग्य आमदनी पांच लाख से अधिक हो जाती है, वे यह छूट नहीं ले पाते और पांच लाख एक रुपये होते ही उन्हें पूरे पर टैक्स देना होता है।