Mahoba Murder Case: एसआइटी जांच में सामने आया, करोड़पति सिपाही रिश्तेदारों के नाम से खनन में चलवा रहा 50 डंपर
पहाड़ों के खनन में चल रहे अरुण यादव के 50 डंपर14 वर्षों से महोबा बांदा चित्रकूट में काट रहा चक्कर अकूत धन संपत्ति की अलग से जांच कराने की संस्तुति इसी साल भ्रष्टाचार की शिकायत पर तत्कालीन एसपी मणिलाल ने जून में अरुण को निलंबित कर दिया था
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। महोबा प्रकरण में एक करोड़पति सिपाही का नाम सामने आया है। एसआइटी (विशेष जांच दल) जांच में सिपाही अरुण यादव के पास अकूत धन संपदा होने की बात पता चली है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अरुण के पास 50 डंपर हैं, जो खनन में लगे रहे। अरुण की संपत्ति की अलग से जांच कराने जाने की संस्तुति अधिकारियों ने की गई है।
मूल रूप से इटावा के रहने अरुण यादव की पहली पोस्टिंग महोबा सदर कोतवाली में वर्ष 2006 में हुई थी। दो साल बाद क्राइम ब्रांच में चला गया था। फिलहाल बांदा में तैनात था, जहां से वह निलंबित चल रहा है। एडीजी प्रेम प्रकाश ने बताया कि आइपीएस मणिलाल पाटीदार और पूर्व एसओ देवेंद्र शुक्ला के अलावा एसआइटी की जांच में सिपाही अरुण यादव सबसे प्रमुख नाम है। अरुण महोबा के खनन माफिया के हाथों खेल रहा था और खूब पैसा कमाया। सिपाही ने रिश्तेदारों के नाम से करीब 50 डंपर खनन में लगवाए। यह संख्या और भी अधिक हो सकती है।
महोबा में बसती है जान
क्राइम ब्रांच में रहते हुए अरुण यादव महोबा में खनन से जुड़े माफिया के संपर्क में आया। पत्नी सहित अन्य रिश्तेदारों के नाम से डंपर लेकर उसने चलवाना शुरू कर दिया। इसी साल सिपाही के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पर शासन के दबाव में तत्कालीन एसपी मणिलाल ने जून में अरुण यादव को निलंबित कर दिया था। दस दिन बाद ही उसे बहाल भी कर दिया गया। दोबारा शिकायत हुई तो एसपी ने ही पहल करके अरुण का तबादला चित्रकूट करवा दिया और कुछ दिनों बाद बांदा में तैनात हो गया। उसका अधिकांश समय महोबा में ही गुजरता। क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी को संदिग्ध हालात में गोली लगने के बाद अरुण यादव का नाम दिवंगत व्यापारी का वीडियो वायरल करने में सामने आया था। कुछ दिन पहले झांसी की एंटी करप्शन टीम ने सिपाही के सात डंपर पकड़ लिए, जिसके बाद उसे निलंबित किया गया।