Diwali : घर-घर आईं लक्ष्मी, धरा पर झिलमिलाए दीप और सतरंगी हुआ आसमान Kanpur News
शहर में दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गंगा स्नान के बाद देवालयों में दर्शन कर श्रद्धालुओं ने मांगी सुख-समृद्धि।
कानपुर, जेएनएन। खुशियों के धमाकों संग आसमान से बरसते सतरंगी सितारे, दीपों की झिलमिल चादर ओढ़े धरा पर आतिशबाजी का लुत्फ उठाते बड़ों संग बच्चे और गले मिलकर एक दूसरे को पर्व की बधाई देते लोग। मंदिरों व घरों में बजती घंटियों व शंखध्वनि के बीच उत्साह में झूमती बच्चों की टोलियां। यह मनोहारी दृश्य था दीपावली के उल्लास में डूबे शहर का। इस उल्लास ने शहर को लंका पर विजय प्राप्त कर लौटे प्रभु श्रीराम के स्वागत में सजाई गई अयोध्या जैसा बना दिया।
दीपों और रंग बिरंगी झालरों को देखकर ऐसा लगा मानो पूरे शहर ने झिलमिल चादर ओढ़ ली हो और आसमान से तारे भी टूटकर जमीं पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश व कुबेर संग मां काली के स्वागत को आ गए हों। आकाशीय आतिशबाजी और पटाखों की आवाज खुद में खुशियां समेटे हुए थीं। क्या बड़े और क्या बच्चे और महिलाएं, सभी आतिशबाजी करते नजर आए। सायं छह बजे से नौ बजे तक पूजा अर्चना के दौरान भी बाजारों में भारी रौनक रही। मिठाई व पटाखों की दुकानों पर भीड़ बनी रही।
घर-घर जगमग करती झालरों ने जहां अंधेरे कोने तक रोशनी पहुंचाने का संदेश दिया, वहीं प्रथम देवता श्रीगणेश जी के साथ धन-वैभव की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करघर-परिवार के साथ राष्ट्र की समृद्धि की कामना भी लोगों ने की। गलियों में पटाखों व फुलझडिय़ों की चमक व धमक के साथ देर रात तक उत्सव मनाया जाता रहा। छतों पर भी पटाखे, चरखियां, अनार व फुलझडिय़ां छूटती रहीं। दीपावली की धूमधाम में आतिशबाजी और रोशनी से नहाये शहर में महंगाई जैसे किसी कोने में दुबकी नजर आई।
लोगों ने दीपोत्सव को मनाने की जबरदस्त तैयारी कर रखी थी। शाम होते ही एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाइयां देने का दौर शुरू हो गया। व्यवसायियों ने हिसाब-किताब बही की पूजा कर भगवान श्रीगणेश, देवी लक्ष्मी व धन के देवता कुबेर से व्यवसाय में बढ़ोतरी की कामना की। आनंदेश्वर मंदिर, भैरो मंदिर, काली मठिया, कालीबाड़ी बंगाली मोहाल और अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। गंगा स्नान के बाद किया अन्न व वस्त्र दान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद अन्न व वस्त्र दान कर सुख-समृद्धि की कामना की। सरसैया घाट, मैस्कर घाट, गंगा बैराज और परमट घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई।