हिमालय की बूटी बनेगी 'संजीवनी' और करेगी पथरी का नाश
केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने मंजूर किया अनुदान। मेघालय और कानपुर के विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ हर्बल दवा करेंगे तैयार।
कानपुर (जागरण संवाददाता) : हिमालय की बूटी एक बार फिर संजीवनी बनेगी। इस बार यह बूटी पथरी का नाश करने के काम आएगी। नॉर्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी मेघालय व छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय ने इसके लिए हाथ मिलाया है। केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इसके लिए पहले चरण में 80 लाख का अनुदान भी स्वीकृत कर लिया है।
हिमालय की जड़ी बूटियों में इतनी ताकत है कि वह किडनी की पथरी को ठीक कर सकती हैं। उत्तरी पूर्वी हिमालयन क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय व आदिवासी वहां के पौधों का इस्तेमाल पथरी की दवा के रूप में कर रहे हैं। यह बात एक शोध में सामने आई है। इसे देखते हुए इस्टर्न हिल विश्वविद्यालय और सीएसजेएमयू ने एक साथ औषधीय पौधों पर शोध करने का निर्णय लिया है।
पथरी के इलाज को तैयार करेंगे हर्बल दवा
प्रोजेक्ट के प्रधान वैज्ञानिक व सीएसएमयू फार्मेसी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रकाश चंद्र गुप्ता ने बताया कि उत्तरीय पूर्वी हिमालयन क्षेत्र में बहुत से ऐसे औषधीय पौधे हैं जिन्हें वहां रहने वाले आदिवासी दवाई के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऐसे औषधीय पौधों की स्क्रीनिंग करके उनमें पाया जाने वाला एक्टिव फाइटो केमिकल्स अलग कर पहले चूहों पर परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद पथरी के इलाज के लिए हर्बल दवाएं तैयार की जाएंगी जो सस्ती, प्रभावकारी व दुष्प्रभावरहित होंगी। शोध में उत्तरी पूर्वी इंदिरा गांधी पर्यावरण एवं चिकित्सा विज्ञान क्षेत्रीय संस्थान शिलांग का सहयोग भी लिया जाएगा।
अल्सर की दवा भी बनेगी
हिमालयन क्षेत्र में कई ऐसे पौधे भी हैं जिन पर शोध कर अल्सर की हर्बल दवाएं भी तैयार की जा सकती हैं। इसके लिए डा. प्रकाश चंद्र द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट टेरी गुवाहटी के साथ मिलकर शोध कर रहे हैं। 32 लाख रुपये का अनुदान स्वीकृत भी हो चुका है।