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मनोरंजन के लिए आइआइटियंस ने बना दिया था टीवी

आइआइटी में 50 साल पहले मनोरंजन का कोई साधन नहीं था। उस दौरान प्रवेश लेने वाले छात्रों ने अपने मनोरंजन का इंतजाम करने के लिए एक टीवी बनाया था। यह आइआइटी का पहला टीवी था जिसे इलेक्ट्रिकल केमिकल व मैकेनिकल समेत अन्य ब्रांच के बीटेक छात्रों ने मिलकर बनाया था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 02:25 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 06:26 AM (IST)
मनोरंजन के लिए आइआइटियंस ने बना दिया था टीवी
मनोरंजन के लिए आइआइटियंस ने बना दिया था टीवी

जागरण संवाददाता, कानपुर : आइआइटी में 50 साल पहले मनोरंजन का कोई साधन नहीं था। उस दौरान प्रवेश लेने वाले छात्रों ने अपने मनोरंजन का इंतजाम करने के लिए एक टीवी बनाया था। यह आइआइटी का पहला टीवी था जिसे इलेक्ट्रिकल, केमिकल व मैकेनिकल समेत अन्य ब्रांच के बीटेक छात्रों ने मिलकर बनाया था। प्रत्येक बुधवार को मनोरंजक कार्यक्रम हुआ करते थे। आइआइटी से 1969 में बीटेक की डिग्री लेकर पास होने वाले पूर्व छात्रों ने शनिवार को पूर्व छात्र सम्मेलन में यह बातें बताई। सम्मेलन में विभिन्न देशों से आए 30 पूर्व छात्रों ने शिरकत की।

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साल 1964 में लखनऊ से आइआइटी में प्रवेश लेने आए दिलीप विलियम्स ने बताया कि यहां पर पढ़ाई बहुत सख्त थी लेकिन उससे समय निकालकर हम सैर सपाटा भी कर लिया करते थे। कक्षा व दिया गया शैक्षणिक कार्य खत्म करने के बाद वह प्रोफेसरों की साइकिल मांगकर फिल्म देखने जाया करते थे। उस जमाने में उपनिदेशक प्रो. एमएस मुथन्ना बहुत सख्त हुआ करते थे। शरारत करने पर वह कार्यशाला में काम करने की सजा देते थे। उनकी इस सजा भी सीखने का जरिया बन जाया करती थी। कार्यशाला में सीखने को बहुत कुछ मिलता था। हां कभी कभी वह बहुत गुस्सा होने पर डंडे से पिटाई भी कर दिया करते थे। इसी बैच में केमिकल इंजीनियरिग ब्रांच के छात्र कमल किशोर ने बताया कि बीटेक के बाद यूके की ग्लास फाइबर कंपनी में काम किया। कुछ समय बाद वापस लौटकर एमबीए किया और भारत में ही ल्यूपिन कंपनी ज्वाइन कर ली। उनकी कंपनी ने हाल ही में जर्मनी को कैंसर की दवा का फार्मूला दिया है। आस्थमा की दवा पर शोध चल रहा है।

चार साल तक रहे मिस्टर आइआइटी :

इस बैच के छात्र कल्पेश कुमार लगातार चार बजे मिस्टर आइआइटी रहे। आइआइटी के बाद यूएस के स्टीफंस इंस्टीट्यूट से स्नातकोत्तर व एमआइटी यूएस से पीएचडी करने के बाद यूएसए में ही ड्रॉपल लेबोरेट्री में नौकरी की। वहां उच्च क्षमता वाले चुंबक, हाइड्राइड बैटरी के क्षेत्र में शोध कार्य किए। 1997 में न्यू इंग्लैंड लॉ कॉलेज से वकालत की डिग्री प्राप्त करने के बाद अब इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


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