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आइआइटी की टीम जांच रही पुराने जाजमऊ पुल की क्षमता

चार दिनों से टीम कर रही निगरानी एक महीने में देगी अपनी रिपोर्ट

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 08:34 PM (IST)
आइआइटी की टीम जांच रही  पुराने जाजमऊ पुल की क्षमता
आइआइटी की टीम जांच रही पुराने जाजमऊ पुल की क्षमता

जागरण संवाददाता, कानपुर : आइआइटी ने जाजमऊ पुराना गंगा पुल की भार क्षमता की जांच शुरू कर दी है। पिछले चार दिनों से पुल की निगरानी कर रही जांच टीम यहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या का भी आकलन कर रही है। जांच टीम यह देखेगी कि भविष्य में कितने वर्षों तक इस पुल का उपयोग हो सकता है। इसीलिए पुल के पिलर, गार्डर, स्लैब के नमूने लिए गए हैं। नमूनों की जांच के आधार पर ही आइआइटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद एनएचएआइ तय करेगा कि नया पुल बनाना है या फिर अभी इसी पुल से यातायात को गुजारना है।

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जाजमऊ पुल 1975 में बना था। पुराने पुल से लखनऊ की ओर से आने वाले वाहन शहर में प्रवेश करते हैं। इस पर वाहनों का दबाव भी ज्यादा है। मरम्मत होने के बाद भी बार-बार पुल क्षतिग्रस्त होता है और इस पर वाहनों के गुजरने पर ऐसा लगता है कि पुल में हिल रहा हो। यही वजह है कि एनएचएआइ ने पुल की क्षमता जांचने के लिए आइआइटी से करार किया है। वैसे तो सीमेंटेड पुल की उम्र सौ साल होती है और इसकी हर साल मरम्मत होनी चाहिए, पर एनएचएआइ के अफसरों की लापरवाही से पुल जर्जर हो गया। 2018 में जब सड़क पूरी तरह खराब हो गई तो इसकी जांच कराई गई थी। तभी मरम्मत के साथ ही बेयरिग भी बदली गई थी। इसके बाद 2020 में मरम्मत हुई, लेकिन यह पुल फिर से जर्जर हो गया है। अब दोबारा मरम्मत के लिए जांच की जा रही है।


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