रात में मोमबत्ती लेकर निकले आइआइटी छात्र, क्यों बोले-मर रहा विज्ञान है फिर भी जय अनुसंधान है
स्कॉलरशिप बढ़ाने की मांग को लेकर निकाला कैंडल मार्च, 80 फीसद छात्रवृत्ति न बढ़ी तो भूख हड़ताल करके मांगेंगे अपना अधिकार।
By Edited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 12:35 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:00 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। मंगलवार की रात आइआइटी में हाथों में जलती मोमबत्ती लेकर एक हजार से अधिक छात्र सड़क पर उतर आए। बीटेक, एमटेक व पीएचडी के ये छात्र हम अपना अधिकार मांगते नहीं किसी से भीख मांगते, मर रहा विज्ञान है फिर भी जय अनुसंधान है और हमारा फेलोशिप कहां गया एमएचआरडी खा गया जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर नारे लगा रहे थे। इन छात्रों ने फेलोशिप बढ़ाने की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकालते हुए लड़ाई का एलान कर दिया है।
परिसर में निकाला कैंडल मार्च
आइआइटी परिसर में कैंडल मार्च निकालते हुए छात्रों ने कहा कि अगर उनकी फेलोशिप 80 फीसद नहीं बढ़ाई गई तो रिसर्च लैब पर ताले लटके नजर आएंगे। कहा कि देश की सभी 23 आइआइटी के अलावा आइआइएससी, एनआइटी व दूसरे तकनीकी विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ मिलकर शोध कार्य का बहिष्कार करेंगे। फिर भी सरकार न चेती तो भूख हड़ताल करके अपना अधिकार मांगा जाएगा। छात्रों ने बताया, आइआइटी खडग़पुर, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी पटना, आइआइटी गुवाहाटी व आइआइएससी में भूख हड़ताल शुरू हो चुकी है। अब यह आंदोलन सरकार के बिना किसी ठोस निर्णय लिये बगैर बंद नहीं होगा।
तीन हजार छात्रों का भविष्य दांव पर
आइआइटी में फेलोशिप प्राप्त करने वाले तीन हजार से अधिक स्नातकोत्तर, जूनियर रिसर्च फेलो, सीनियर रिसर्च फेलो व रिसर्च एसोसिएट हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए बताया कि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) व यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से उन्हें करीब चार महीने देरी से फेलोशिप मिलती है। 2014 में उन्हें जो फेलोशिप मिल रही थी, वही आज भी दी जा रही है। जबकि नियमानुसार चार साल में यह बढ़ा दी जाती है। छात्रों को समय पर उसका लाभ न मिलने पर कई को बीच में पढ़ाई छोडऩी पड़ती है। स्नातकोत्तर के बाद यहां से पीएचडी करने वाले ज्यादातर छात्रों की उम्र 25 से 30 वर्ष के करीब है। पढ़ाई के साथ इनमें से कई छात्रों पर परिवार की जिम्मेदारी भी है।
छात्रों की ये हैं मांगें
छात्रों की मांग है कि एमटेक समेत स्नातकोत्तर कोर्सो की फेलोशिप 12 हजार चार सौ से बढ़ाकर 23 हजार की जाए। जेआरएफ की फेलोशिप 25 हजार से बढ़ाकर 45 हजार दी जाए, एसआरएफ की छात्रवृत्ति 28 हजार से 50 हजार पांच सौ होनी चाहिए। रिसर्च एसोसिएट की फेलोशिप 36 हजार से बढ़ाकर 65 हजार की जाए।
परिसर में निकाला कैंडल मार्च
आइआइटी परिसर में कैंडल मार्च निकालते हुए छात्रों ने कहा कि अगर उनकी फेलोशिप 80 फीसद नहीं बढ़ाई गई तो रिसर्च लैब पर ताले लटके नजर आएंगे। कहा कि देश की सभी 23 आइआइटी के अलावा आइआइएससी, एनआइटी व दूसरे तकनीकी विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ मिलकर शोध कार्य का बहिष्कार करेंगे। फिर भी सरकार न चेती तो भूख हड़ताल करके अपना अधिकार मांगा जाएगा। छात्रों ने बताया, आइआइटी खडग़पुर, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी पटना, आइआइटी गुवाहाटी व आइआइएससी में भूख हड़ताल शुरू हो चुकी है। अब यह आंदोलन सरकार के बिना किसी ठोस निर्णय लिये बगैर बंद नहीं होगा।
तीन हजार छात्रों का भविष्य दांव पर
आइआइटी में फेलोशिप प्राप्त करने वाले तीन हजार से अधिक स्नातकोत्तर, जूनियर रिसर्च फेलो, सीनियर रिसर्च फेलो व रिसर्च एसोसिएट हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए बताया कि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) व यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से उन्हें करीब चार महीने देरी से फेलोशिप मिलती है। 2014 में उन्हें जो फेलोशिप मिल रही थी, वही आज भी दी जा रही है। जबकि नियमानुसार चार साल में यह बढ़ा दी जाती है। छात्रों को समय पर उसका लाभ न मिलने पर कई को बीच में पढ़ाई छोडऩी पड़ती है। स्नातकोत्तर के बाद यहां से पीएचडी करने वाले ज्यादातर छात्रों की उम्र 25 से 30 वर्ष के करीब है। पढ़ाई के साथ इनमें से कई छात्रों पर परिवार की जिम्मेदारी भी है।
छात्रों की ये हैं मांगें
छात्रों की मांग है कि एमटेक समेत स्नातकोत्तर कोर्सो की फेलोशिप 12 हजार चार सौ से बढ़ाकर 23 हजार की जाए। जेआरएफ की फेलोशिप 25 हजार से बढ़ाकर 45 हजार दी जाए, एसआरएफ की छात्रवृत्ति 28 हजार से 50 हजार पांच सौ होनी चाहिए। रिसर्च एसोसिएट की फेलोशिप 36 हजार से बढ़ाकर 65 हजार की जाए।
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