जानिए, आंदोलन की राह पर उतरने को क्यों तैयार हैं आइआइटी के छात्र
आइआइटी के ढाई हजार स्नातकोत्तर, एमफिल, रिसर्च फेलो ने कहा, फेलोशिप में 80 फीसद इजाफा न हुआ तो करेंगे बड़ा आंदोलन।
कानपुर, जेएनएन। आइआइटी के स्नातकोत्तर, जूनियर रिसर्च फेलो, सीनियर रिसर्च फेलो व रिसर्च एसोसिएट आंदोलन की राह पर हैं। उनकी मांग है कि फेलोशिप में 80 फीसद इजाफा किया जाए नहीं तो वह बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपना गुस्सा जाहिर किया है। आइआइटी कानपुर में स्कॉलरशिप पाने वालों में ढाई हजार छात्र छात्राएं हैं।
अपनी मांगों को लेकर आइआइटी परिसर में शुक्रवार देर शाम सभी छात्रावास अथवा हॉल से फेलोशिप प्राप्त करने वाले छात्रों ने साइलेंट मार्च किया था। कैंपस से होता हुआ यह मार्च आइआइटी गेट तक पहुंचा था। छात्रों ने अपनी समस्याएं गिनाते हुए बताया कि उनकी फेलोशिप समय पर नहीं आती है।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) व यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से फेलोशिप मिलने में तीन से चार महीने तक विलंब हो जाता है। 2014 में उन्हें जो फेलोशिप मिल रही थी वही आज भी दी जा रही है। जबकि नियमानुसार चार साल में यह बढ़ा दी जाती है। छात्रों ने इस संबंध में एमएचआरडी के नाम पत्र लिखा है। छात्रों के इस पत्र को आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने फारवर्ड किया है।
20 फीसद छात्र छोड़ देते हैं पढ़ाई
फेलोशिप की बदौलत पढ़ाई कर रहे 20 फीसद छात्रों को समय पर उसका लाभ न मिलने पर पढ़ाई छोडऩी पड़ती है। फेलोशिप के जरिए पढ़ाई करने के साथ कई छात्रों के कंधों पर घर का भार भी होता है। फेलोशिप समय पर न आने पर वह पढ़ाई छोड़कर घर का खर्च चलाने के लिए नौकरी करने लगते हैं।
तीन सेमेस्टर की फीस जमा करनी पड़ती है
छात्रों ने बताया कि आइआइटी कानपुर में साल में दो की बजाय तीन सेमेस्टर की फीस जमा करनी पड़ती है। गर्मी में भी उनका शोध कार्य जारी रहता है। वहीं दूसरी ओर रिसर्च पेपर प्रकाशित करने में भी काफी खर्च आता है। इसके बिना शोध कार्य आगे बढऩा असंभव है। यह खर्च बहुत अधिक होता है। उनकी मांग है कि एमटेक की फेलोशिप 12400 से बढ़ाकर 23 हजार रुपये, जेआरएफ की 25 हजार से बढ़ाकर 45 हजार, एसआरएफ में 28 हजार से बढ़ाकर 50 हजार पांच सौ तथा रिसर्च एसोसिएट की 36 हजार से बढ़ाकर 65 हजार रुपये की जाए।