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आइआइटी का शोध, प्रदूषण से बिगड़ रहा मौसम का मूड

आइआइटी विशेषज्ञों के शोध में बदलते मौसम का कारण बढ़ता प्रदूषण बताया है। प्रदूषित शहरों के तापमान का आकलन किया है। नेचर कम्युनिकेशन जनरल में शोध का प्रकाशन हुआ है।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 05:25 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 07:02 PM (IST)
आइआइटी का शोध, प्रदूषण से बिगड़ रहा मौसम का मूड
आइआइटी का शोध, प्रदूषण से बिगड़ रहा मौसम का मूड

कानपुर (जागरण संवाददाता)। बढ़ता वायु प्रदूषण सिर्फ हमारी सांसों में ही जहर नहीं घोल रहा बल्कि मौसम का मूड भी बिगाड़ रहा है। इसकी वजह से जहां रात में गर्मी बढ़ी है, वहीं दिन में धरती की सतह के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस तक की कमी आई है। जहरीली गैसों की अधिकता से बारिश की अनिश्चितता बढ़ी है। पहले एक ही गति से लगातार वर्षा होती थी पर अब तीन चार घंटे में झमाझम बरसात होने लगी है। इसी वजह से अब तक बाढ़ की चपेट में न आने वाले क्षेत्र भी डूब रहे हैं।

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प्रदूषित शहरों के तापमान के आकलन से समाने आया सच

आइआइटी कानपुर के पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियङ्क्षरग विभाग के विशेषज्ञों की शोध में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं कि मौसम का बदलते मिजाज का कारण बढ़ता प्रदूषण है। आइआइटी विशेषज्ञों ने देश के प्रदूषित शहरों के 15 वर्षों के तापमान का ऑटोमैटिक और मैनुअल तरीके से आकलन किया। शहरी प्रदूषण के कारण मौसम में होने वाले अप्रत्याशित बदलाव के बारे में बताया गया है। विशेषज्ञों के शोध को नेचर कम्युनिकेशन जनरल में प्रकाशित किया है।

किस तरह कर रहे प्रभावित

पानी वाष्पीकृत होकर ऊपर की ओर जाता है। हवा में मौजूद एयरोसोल उसमें मिल जाते हैं, जिसकी वजह से पानी की बूंदों की संख्या अधिक हो जाती है। ये अपनी ऊंचाई की क्षमता से अधिक (12 किमी) तक चली जाती हैं। जिससे बूंदों के साथ ही आइस क्रिस्टल (ओले) की संख्या भी अधिक हो जाती है। बूंदों और ओलों की ज्यादा संख्या होने से बादलों का घनत्व भी काफी बढ़ जाता है। उसमें तीव्र चमक रहती है। यह चमक सूर्य की किरणों को प्रभावित करती है। सतह पर उसका असर कुछ कम हो जाता है।

ऐसे बढ़ती है बादलों में चमक

वर्षा की बूंदें जब ओलों में परिवर्तित होती हैं तो यह प्रकिया एक्सोथर्मिक कहलाती है। इसमें ऊष्मा निकलती है। इसकी मात्रा कम रहती है। केवल चमक जैसी नजर आती है। प्रदूषण न होने पर पानी की बूंदें अमूमन आठ से नौ किमी तक जाती हैं। इनकी और ओलों की संख्या भी कम रहती है। बादलों का घनत्व भी कम होता है।

प्रदूषण से बाढ़ की समस्या

प्रदूषण की वजह से अत्यधिक घनत्व वाले बादलों से वर्षा अनिश्चित होती है। यह अलग अलग हिस्से में हो सकती है। इनसे इतनी तीव्र और अधिक बारिश होती है जो बाढ़ का कारण बनती है। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से रातें गर्म हो रही हैं। दिन की गर्मी का असर रात में भी होने लगा है।

जानें क्या है एयरोसोल

डस्ट, कार्बन ब्लैक, आर्गेनिक कार्बन, नाइट्रेट, सल्फेट आदि एयरोसोल के रूप हैं। ये औद्योगिक इकाइयों, जेनरेटर और वाहनों से निकलते हैं।

एक डिग्री सेल्सियस तक कम हुआ सतह का तापमान

आइआइटी सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. सच्चिदानंद कहते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण मौसम प्रभावित हो रहा है। दिन के समय सतह का तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक कम हो गया है। यह परिवर्तन 10 से 15 साल में हुआ है। बारिश की अनियमितता बढ़ गई है।


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