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आइआइटी तैयार करेगा ग्लाइडर पायलट

प्रवेश के लिए बनाए जा रहे हैं नियम, 50 घंटे के प्रशिक्षण के बाद होगी परीक्षा, सफल होने पर मिलेगा लाइसेंस, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने दी स्वीकृति

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 10 Feb 2018 10:31 AM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 10:56 AM (IST)
आइआइटी तैयार करेगा ग्लाइडर पायलट
आइआइटी तैयार करेगा ग्लाइडर पायलट

कानपुर (विक्सन सिक्रोड़िया)। देश को वैज्ञानिक, टेक्नोक्रैट व विषय विशेषज्ञ देने वाला आइआइटी कानपुर अब ग्लाइड पायलट भी तैयार करेगा। एयरोस्पेस इंजीनिर्यंरग के छात्रों से लेकर विभिन्न क्षेत्रों के युवा यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। प्रवेश के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। शर्तें पूरी करने पर ग्लाइडर उड़ाने के प्रशिक्षण के लिए चुने हुए अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण 50 घंटे का होगा। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अभ्यर्थियों की परीक्षा ली जाएगी। उसमें सफल होने पर ग्लाइडर उड़ाने का लाइसेंस मिलेगा।

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इस नए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम व लाइसेंस के लिए आइआइटी को नागरिक उड़ान नियमों को लागू करने वाले प्रमुख नियामक संगठन डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) से अनुमति मिल गई है। यह संगठन विमान चालक, विमान रखरखाव इंजीनियर व उड़ान इंजीनियर को लाइसेंस जारी करता है।

देशभर के छात्रों की प्रयोगशाला बना आइआइटी
देशभर के कालेजों से एयरोस्पेस इंजीनिर्यंरग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को आइआइटी की फ्लाइट लैबोरेटरी में प्रशिक्षण दिया जाता है। इनमें नामी गिरामी तकनीकी कालेजों के अलावा उन आइआइटी के छात्र भी आते हैं, जहां फ्लाइट लैबोरेटरी नहीं है। छात्र यहां टेक ऑफ, क्लाइंबिंग, लैंडिंग व टर्निंग समेत अन्य तकनीकी बारीकियां सीखते हैं। एयरक्राफ्ट की तकनीक समझने व प्रयोगात्मक अध्ययन के लिए देशभर से करीब 40 कॉलेजों के नौ सौ से अधिक छात्र-छात्राएं प्रतिवर्ष प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आ रहे हैं।

ग्लाइडर व एयरक्राफ्ट उड़ाने के अलावा आधुनिक एयरक्राफ्ट के निर्माण व उसमें आने वाली नई तकनीक के बारे में भी बताया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों को आइआइटी प्रमाण पत्र भी देता है, जो उनकी बीटेक की डिग्री में चार चांद लगाता है। अब ग्लाइडर उड़ाने का प्रशिक्षण व लाइसेंस भी आइआइटी देगा।

फ्लाइट लैबोरेटरी में छह सीटर विमान
आइआइटी की फ्लाइट लैबोरेटरी करीब 58 वर्ष पुरानी है। यहां करीब एक किमी की एयर स्ट्रिप है। यहां पर तीन एयरक्राफ्ट, दो ग्लाइडर व आधा दर्जन विमान के अलावा दो सीटर व छह सीटर समेत अन्य विमान भी शामिल हैं। आइआइटी मद्रास, आइआइटी बांबे, आइआइटी खड़गपुर व पंजाब इंजीनिर्यंरग कॉलेज (पीईसी) चंडीगढ़ समेत अन्य दूसरे संस्थानों में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का बीटेक कोर्स संचालित होते हैं।

अगले महीने ग्लाइडर पायलट का प्रशिक्षण शुरू हो जाएगा। इस प्रशिक्षण के लिए रखी गई योग्यता की जानकारी जल्द ही वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएगी।
- प्रो. एके घोष, फैकल्टी
इंचार्ज, फ्लाइट लैबोरेटरी आइआइटी कानपुर


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