IIT Kanpur ने तैयार किया साइबर वार का कवच ‘डोरजे’, हैक करने की कोशिश होते ही अलर्ट करेगा साफ्टेवयर
रूस-यूक्रेन के बीच बनाया गया आइआइटी कानपुर के स्टार्टअप का स्वदेशी उपकरण स्वचालित उद्योगों को साइबर सुरक्षा प्रदान करेगा। इस विशेष तकनीक से स्काडा हमलों से बचाने के साथ हैक करने की कोशिश होते ही अलर्ट भी मिलेगा।
कानपुर, चंद्रप्रकाश गुप्ता। परंपरागत युद्ध के इतर अब युद्ध में दुश्मन देश की कमर तोड़ने के लिए साइबर वार को ज्यादा प्रभावी हथियार माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध में इसकी व्यापकता को दुनिया ने देखा है। रूस के साइबर हमलों को देख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के स्टार्टअप अरिस्ती इन्फोलैब के विशेषज्ञों ने डोरजे नाम से ऐसा साफ्टवेयर आधारित उपकरण विकसित किया है, जो स्वचालित उद्योगों (आटोमेशन इंडस्ट्री) को साइबर सुरक्षा कवच प्रदान कर सकेगा। अगर कोई इंडस्ट्री के स्वचालित सिस्टम को हैक करने की कोशिश करेगा तो साफ्टवेयर से अलर्ट आएगा और सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम दुरुस्त किए जा सकेंगे।
स्काडा हमलों से बचाएगा साफ्टवेयर
स्टार्टअप के संस्थापक रौनक सुतारिया के मुताबिक वर्तमान में देश भर में दवा निर्माता, तेल और गैस कंपनियां, रसायन निर्माता या ऊर्जा निर्माता कंपनियां स्वचालित प्रणाली से संचालित हो रही हैं। उन्हें एक विशेष कमांड देकर चलाया जाता है। एेसे उद्योगों में साइबर हमलों विशेष कर स्काडा (पर्यवेक्षी नियंत्रण एवं डेटा अधिग्रहण) हमलों की आशंका ज्यादा रहती है।
स्काडा, हार्डवेयर और साफ्टवेयर का एक एेसा संयोजन है, जो आपरेशन तकनीक (ओटी) डेटा को कैप्चर करके औद्योगिक प्रक्रियाओं के स्वचालन को सक्षम बनाता है। स्काडा हमले में वह सेंसर हैक किए जाते हैं, जो मोटर, पंप या वाल्व जैसे उपकरणों की निगरानी आनलाइन या रिमोट सर्वर से करते हैं।
रौनक ने बताया कि यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले ही कई बार साइबर हमले हो चुके थे। वर्ष 2014 में यूक्रेन के प्रधानमंत्री कार्यालय में साइबर हमला हुआ और अगले ही वर्ष यूक्रेन के विद्युत ग्रिड प्रणाली को हैक किया गया। वर्ष 2022 की शुरुआत में ही यूक्रेन में रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट व दो बैंकों की प्रणाली को हैक किया गया। यूक्रेन के पास इन हमलों से बचने के लिए स्वदेशी तकनीक नहीं थी।
कई कंपनियां आयात करतीं विदेशी सॉफ्टेवयर
रौनक ने बताया कि भारत में ही कई कंपनियां साइबर हमलों से खुद को बचाने के लिए विदेशों से आयातित साफ्टवेयर सिस्टम का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन स्वदेशी न होने से उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं है। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने अपने स्टार्टअप में डोरजे नामक साफ्टवेयर आधारित उपकरण विकसित किया है, जो आटोमेशन इंडस्ट्री को पूरी तरह सुरक्षित करेगा। उन्होंने बताया कि दो कंपनियों में उनके उपकरण इस्तेमाल हो रहे हैं। रेलवे में भी इसके प्रयोग के लिए वार्ता चल रही है।
उद्योगों में साइबर हमले की आशंका
रौनक के मुताबिक वर्तमान समय में उद्योगों पर स्काडा हमलों में वृद्धि देखी गई है। अपराधी हमले में सफल होने के बाद पूरे सिस्टम को हैक करके रैनसमवेयर (फिरौती मांगने वाला वायरस) भेजते हैं और धमकी देकर रकम वसूलते। रकम न देने पर वह पूरे संयंत्र को नुकसान पहुंचाने या बंद करने की धमकी देते। दुश्मन देश ज्यादातर इसी तरह के हमलों को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं। लिहाजा उद्योगों को साइबर हमलों से सुरक्षित रखना जरूरी है।
डोरजे से होगा यह फायदा
अरिस्ती इन्फोलैब के उपकरण से आइटी (सूचना प्रौद्योगिकी) इंफ्रास्ट्रक्चर को अगली पीढ़ी के फायरवाल, एंटी-वायरस, एंटी-मैलवेयर साफ्टवेयर के जरिए सुरक्षित किया जा सकता है। पूरी आपरेशन तकनीक प्रणाली की निगरानी की जा सकेगी और अगर कोई अपराधी कोई ईमेल, लिंक या अन्य कोई वायरस भेजकर आपरेशन तकनीक प्रणाली में हस्तक्षेप करके स्काडा हमले का प्रयास करेगा तो तुरंत अलर्ट जारी होगा। इसके बाद उस अपराधी के बारे में पता लगाने के साथ ही हमले को विफल किया जा सकेगा।