Fight Against Coronavirus: दुश्मन को मारने से पहले ताकत का अंदाजा लगा रहा IIT Kanpur
आइआइटी के विशेषज्ञ शोध कर रहे हैं कि शरीर पर किस तरह कोरोनावायरस हमला कर रहा है।
कानपुर, जेएनएन। दुश्मन को मारने से पहले उसकी ताकत का अंदाजा लगा लेना चाहिये, कोरोना वायरस जैसे सशक्त शत्रु पर विजय पाने के लिए अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के विशेषज्ञ ने यही रास्ता अख्तियार किया है। अब वो पहले यह जानने के लिए रिसर्च कर रहे हैं कि शरीर पर कोरोना वायरस किस तरह हमला करता है। यदि इसकी सटीक परिणाम सामने आ गए तो कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए एंटीवायरल ड्रग तैयार में यह शोध बेहद कारगार साबित होगा।
खास माइक्रोस्कोप से देखेंगे पूरी प्रक्रिया
आइआइटी के विशेषज्ञा शोध कर रहे है कि किस प्रकार इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) और श्वसन प्रणाली की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करता है। प्रयोगशाला में इस प्रक्रिया को जानने के लिए फ्लोरोसेंस डाई की उपस्थिति में कोरोना वायरस और मानव कोशिका का संपर्क कराएंगे। खास तरह के माइक्रोस्कोप से पूरी प्रक्रिया देखी जाएगी। माना जा रहा है कि इससे मिले निष्कर्ष के आधार पर एंटीवायरल ड्रग और इंजेक्शन बनाने में मदद मिलेगी। आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने इस प्रोजेक्ट में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है।
रिसर्च में जुटे बायोलॉजिकल साइंस एंड बायोइंजीनियरिंग (बीएसबीई) विभाग के प्रो. देबेन्दू कुमार दास और उनकी टीम के मुताबिक कोरोना वायरस की संरचना गेंद की तरह है। इसका बाहरी हिस्सा कांटेदार है और एस-ग्लाइकोप्रोटीन से बना है। मनुष्य के शरीर में पहुंचने के बाद वायरस के एस-ग्लाइकोप्रोटीन में बदलाव होता है। वायरस के बाहर हिस्से, जिसे कवच कह सकते हैं, का प्रोटीन टूटता है और वायरस की संरचना बदल जाती है। फिर प्रोटीन इम्यून सिस्टम पर हमला करता है।
उन्होंने बताया कि आइआइटी के विशेषज्ञ यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या प्रोटीन और मानव कोशिका के बीच टकराव से कोई एनर्जी निकलती है। यदि हां, तो किस प्रकार की है? सभी पर समान प्रभाव डालती है या उम्र व रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करती है। इसके अलावा वायरस का कवच किसके संपर्क में आकर अपनी संरचना बदलता है? किस संरचना में निष्क्रिय हो जाता है और किस संरचना में मजबूत? यह भी जाना जाएगा। इसके लिए सिंगल मॉलिक्यूल फ्लोरोसेंस रेजोनेंस एनर्जी ट्रांसफर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। फ्लोरोसेंस डाई को वायरस और मानव कोशिकाओं के बीच डाला जाएगा। लाइट एनर्जी का इस्तेमाल होगा। एनर्जी निकलने पर उसको हाई रेजोल्यूशन कैमरे से देखा जाएगा।
-आइआइटी के विशेषज्ञ कोरोना से जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एंटीवायरल ड्रग तैयार करने की दिशा में यह बहुत ही अच्छा शोध साबित होगा।-प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय, इंचार्ज इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन हब, आइआइटी