आइआइटी कानपुर का 'टीच' लाएगा स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई में तेजी, एक प्लेटफार्म पर शिक्षक करेंगे मूल्यांकन
आइआइटी कानपुर ने टीच ’ नाम से आनलाइन पढ़ाई की विशेष प्रबंधन प्रणाली के लिए साफ्टवेयर विकसित किया है। इस साफ्टवेयर से शिक्षक विद्यार्थियों के मैसेज के आधार पर उनके होमवर्क का तुरंत मूल्यांकन कर सकेंगे ।
कानपुर, [चंद्र प्रकाश गुप्ता]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) का ' टीच ’ साफ्टवेयर अब स्कूल कालेजों में आनलाइन पढ़ाई (वर्चुअल टीचिंग सिस्टम) का प्रबंधन करेगा। छात्र होमवर्क व अन्य कार्यों का जितना भी डाटा भेजेंगे , शिक्षक उसे साफ्टवेयर के जरिए एक प्लेटफार्म पर लाकर तुरंत मूल्यांकन भी कर सकेंगे। यही नहीं , इस डाटा को कोई दूसरा शख्स या छात्र नहीं देख सकेगा। संस्थान ने इस तकनीक को पेटेंट कराया है। जल्द ही स्कूल कालेजों के शिक्षकों को इसके बारे में जागरूक किया जाएगा।
संस्थान के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अमेय करकरे और उनकी टीम के शोधार्थियों अंचित सिंह व श्रेया कचोलिया ने मिलकर ' टीच ’ नाम से आनलाइन पढ़ाई की विशेष प्रबंधन प्रणाली के लिए साफ्टवेयर विकसित किया है। इसकी मदद से स्कूल कालेजों के शिक्षक एक साथ तमाम विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं , उनके सवालों और अन्य कार्यों की जांच चंद मिनटों में कर सकेंगे। प्रो.करकरे ने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल टेलीग्राम एप से लिंक करके किया जाएगा। यानी कि जो छात्र-छात्राएं अभी वाट्सएप पर अपने शिक्षकों को होमवर्क के असाइनमेंट , इमेज या टेक्स्ट मैटर भेजते हैं , वह अब शिक्षकों को टेलीग्राम पर भेजेंगे। टेलीग्राम से लिंक टीच साफ्टवेयर पर गूगल क्लासरूम की तरह सभी विद्यार्थियों के फोन नंबर के आधार पर उनकी आइडी बन जाएगी और उसी आइडी पर शिक्षक कोर्स वर्क , असाइनमेंट आदि का मूल्यांकन करके ग्रेड दे सकेंगे। यही नहीं ग्रेडिंग के बाद सबमिट करने पर विद्यार्थियों को भी शिक्षकों की ओर से दिए गए ग्रेड का पता लग सकता है। इस साफ्टवेयर का प्रयोग स्कूल-कालेजों के साथ ही विभिन्न संस्थाएं अपने ग्राहकों व कर्मचारियों को शिक्षित या प्रशिक्षित करने के लिए भी कर सकती हैं।
फोन की मेमोरी फुल होने की नहीं होगी चिंता
प्रो. करकरे ने बताया कि वर्तमान में स्कूल कालेजों के बच्चे अपना होमवर्क वाट्सएप पर शिक्षकों को भेजते हैं। शिक्षकों के लिए इसे मैनेज करना मुश्किल होता है , क्योंकि फोन की मेमोरी लिमिटेड होती है। अगर किसी बच्चे ने 12-15 इमेज भेज दीं तो हो सकता है कि फोन की मेमोरी फुल हो जाए। तब शिक्षकों को पहले फोन का पुराना डाटा डिलीट करना पड़ता है। यही नहीं , ज्यादातर शिक्षकों के पास अपना प्रिंटर भी नहीं होता है। इससे छात्रों की ओर से भेजे गए मैसेज व कार्यों का प्रिंटआउट भी नहीं निकाला जा सकता। टीच साफ्टवेयर के रूप में विकसित की गई प्रणाली में शिक्षकों को फोन की मेमोरी फुल होने या प्रिंट निकालने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि वह साफ्टवेयर पर सभी विद्यार्थियों के एसाइनमेंट को अलग-अलग देख सकेंगे और मूल्यांकन करके ग्रेड सबमिट कर सकेंगे।
छात्र व शिक्षक के बीच कम्युनिकेशन होगा इनक्रिप्ट
प्रो. करकरे ने बताया कि इस साफ्टवेयर के जरिए छात्र व शिक्षक के बीच कम्युनिकेशन पूरी तरह इनक्रिप्ट होगा। यानी कि वह विशेष कोड में रूपांतरित होकर एक दूसरे तक पहुंचेगा। इससे कोई अन्य छात्र या शिक्षक भी उसे देख नहीं सकेगा। उन्होंने बताया कि यह साफ्टवेयर वाट्सएप के जरिए भी चल सकता है , लेकिन टेलीग्राम एप वाट्सएप की अपेक्षा ज्यादा फीचर उपलब्ध कराता है। यही नहीं , अगर कोई बाहरी व्यक्ति मैसेज भेजना चाहे तो उसके मैसेज केवल शिक्षक के पास ही जाएंगे , जिन्हें शिक्षक चाहे तो ब्लाक कर सकता है। इससे अध्यापन कार्य में कोई बाधा भी नहीं आएगी। अभी इस प्रणाली में वीडियो कालिंग का फीचर नहीं दिया गया है , लेकिन भविष्य में इसे भी जोड़ा जा सकता है। हालांकि शिक्षक अगर कोई लेक्चर रिकार्ड करते हैं तो उसका लिंक सभी बच्चों को भेज सकेंगे।