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IIT Kanpur बना रहा विशेष कोटिंग वाला पीपीई किट, कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं होगा एप्रिन

कोरोना से जंग में पोर्टेबेल वेंटिलेटर के बाद आइआइटी विशेषज्ञों के एक और कदम बढ़ाने पर निदेशक ने शुभकामनाएं दी हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 05:26 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 10:22 PM (IST)
IIT Kanpur बना रहा विशेष कोटिंग वाला पीपीई किट, कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं होगा एप्रिन
IIT Kanpur बना रहा विशेष कोटिंग वाला पीपीई किट, कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं होगा एप्रिन

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। दुनिया में महामारी बनकर उभरे कोरोना वायरस की काट खोजने में कई देशों के विशेषज्ञ जुटे हैं। दुनिया की उम्मीद भरी नजर विज्ञान के महाज्ञान भारत पर भी टिकी है, जहां की मेधा और विशेषज्ञों ने अपनी खोजों से कई बार चकित किया है। इस संकट काल में भारतीय विशेषज्ञ कोरोना को धूल चटाने की तैयारी कर रहे हैं। इस जंग में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर भी शंखनाद कर चुका है। पहले पोर्टेबेल वेंटिलेटर देने के बाद अब विशेष कोटिंग वाला ऐसा पीपीई किट तैयार कर रहा है, जिसपर वायरस का न तो कोई प्रभाव पड़ेगा और उसे दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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आइआइटी के विशेषज्ञ पॉलीमर, इथेनॉल और अन्य पदार्थों से विशेष कोटिंग तैयार करेंगे, जिसको पीपीई किट (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) पर इस्तेमाल किया जाएगा। इस कोटिंग से कोरोना और उस जैसे अन्य वायरस नष्ट हो जाएंगे। मास्क और एप्रिन वायरस से संक्रमति होने से न सिर्फ बचेंगे बल्कि कई बार इस्तेमाल किए जा सकेंगे। इस तकनीक को केमिस्ट्री विभाग की प्रो.नगमा परवीन विकसित करेंगी, जबकि विभाग के प्रो.आशीष पात्र और प्रो.एमएलएन राव सहयोग कर रहे हैं।

प्रो. परवीन को साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) की ओर से तकनीक विकसित करने के लिए 25 लाख रुपये की ग्रांट मिली है। इसमें सफलता मिलने के बाद विशेषज्ञ कोटिंग के नतीजों का अध्ययन कर उसके आधार पर ड्रग मॉलिक्यूल तैयार करेंगे। ड्रग बनाने और उसके मेडिकल ट्रायल के लिए अलग से धनराशि मिलेगी। आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने टीम को शुभकामनाएं दी हैं, उन्होंने कहा कि मुश्किल घड़ी में संस्थान हर संभव मदद कर रहा है।

कोरोना वायरस का होगा टेस्ट

र्सिजकल मास्क, ग्लब्स और अन्य सेफ्टी किट पर कोरोना, इन्फ्लुएंजा और अन्य वायरस का टेस्ट किया जाएगा। देखा जाएगा कि वायरस उस कोटिंग से खत्म हो रहा है या फिर दूर चला जा रहा है। इसके गुणों को देखने के बाद एंटी वायरल ड्रग तैयार किया जाएगा, एसईआरबी ने शोध के लिए एक साल का समय दिया है। प्रो. नगमा परवीन ने बताय कि कोटिंग की सफलता से दो तिहाई काम आसान होगा, एंटी वायरल ड्रग जल्दी बनेगा। इससे आगे के एडवांस ड्रग तैयार करने में आसानी होगी।


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