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दस साल पहले IIT Kanpur में भी धरती की कोख में सहेजा गया था टाइम कैप्सूल, जानें-क्या था उसके अंदर

आइआइटी की गोल्डन जुबली पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने जमीन के अंदर टाइम कैप्सूल को प्रत्यारोपित किया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 07:20 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 05:22 PM (IST)
दस साल पहले IIT Kanpur में भी धरती की कोख में सहेजा गया था टाइम कैप्सूल, जानें-क्या था उसके अंदर
दस साल पहले IIT Kanpur में भी धरती की कोख में सहेजा गया था टाइम कैप्सूल, जानें-क्या था उसके अंदर

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। अयोध्या में राम जन्मभूमि और राम मंदिर से जुड़े साक्ष्य, दस्तावेज और स्मृतियों को धरती की कोख में सहेजने की तैयारी है। यह प्रयोग आइआइटी कानपुर में 10 साल पहले किया जा चुका है। यहां भी टाइम कैप्सूल में स्मृतियों को संजोकर धरती में सुरक्षित किया गया है। 2010 में छह मार्च को आइआइटी कानपुर में गोल्डन जुबली समारोह आयोजित किया गया था। इसी दिन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कैंपस में ही टाइम कैप्सूल प्रत्यारोपित किया था। इसे बनाने और रिकॉर्ड को संरक्षित रखने में तीन महीने से अधिक का समय लगा था। तांबे से बने इस टाइम कैप्सूल का वजन 200 किलोग्राम से अधिक है।

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ऑडिटोरियम के पास प्रत्यारोपित

टाइम कैप्सूल को ऑडिटोरियम के पास 18 इंच व्यास के बोरवेल में 15 फुट की गहराई में प्रत्यारोपित किया गया। इस पर 20 टन वजन के संगमरमर को रखा गया है, जिसे बाड़मेर से मंगवाया गया था। आसपास रंग-बिरंगे फूल लगे हैं।

ऑक्सीजन गैस निकाली

टाइम कैप्सूल को टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो. अविनाश अग्रवाल और वर्कशॉप इंचार्ज फूलचंद गौंड ने बनाया था। इसमें रिकॉर्ड, उपकरण और अन्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए ऑक्सीजन पूरी तरह से निकालकर नाइट्रोजन भरी गई थी। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि इसे जमीन में भेजने के लिए विशेष तकनीक इस्तेमाल की गई। बटन दबाते ही यह धरती में चला गया। भविष्य में इसे निकाला भी जा सकेगा। उसी दिन नैनो सेटेलाइट जुगनू का भी अनावरण हुआ था।

निदेशक थे प्रो. संजय धांडे

गोल्डन जुबली समारोह के समय प्रो. संजय गोङ्क्षवद धांडे निदेशक थे, जबकि आर्गेनाइङ्क्षजग कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी प्रो. मणींद्र अग्रवाल को मिली थी। प्रो. एसपी मेहरोत्रा, प्रो. अशोक मित्तल, प्रो. अश्विनी कुमार, प्रो. रजत मूना सदस्य थे।

क्या-क्या रखा गया संरक्षित 

  • गोल्डन जुबली पर बनी आइआइटी की फिल्म।
  • संस्थान की 50 साल की तस्वीरें।
  • वार्षिक रिपोर्ट।
  • अध्यादेश और अधिनियमों की प्रति।
  • छात्र, छात्रावास, खाने का मेन्यू, लाइफ स्टाइल।
  • गोल्डन-सिल्वर जुबली का लोगो।
  • मिनी कंप्यूटर, पेन ड्राइव, सीडी।
  • सीनेट-बीओजी की बैठक के मिनट्स।
  • संस्थान का एरियल मैप।
  • बीटेक, एमटेक, पीएचडी कोर्स की डिटेल।
  • रिचर्स-प्रोजेक्ट कार्यों की जानकारी।
  • प्रेसीडेंट मेडल की प्रतिलिपि।
  • आइआइटी का झंडा।
  • संस्थान में चिडिय़ों की जानकारी।

सीएसए ने भी शताब्दी वर्ष पर धरती में संजोया था इतिहास

2006 में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के शताब्दी वर्ष समारोह में इतिहास को टाइम कैप्सूल में धरती में संजोया गया था। कुलपति कार्यालय के पास इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने प्रत्यारोपित किया था। इसमें विश्वविद्यालय के 100 वर्षों का सफर, विश्वविद्यालय की उपलब्धियां, इतिहास, शोध कार्यों का जिक्र था।


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