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आइआइटी बताएगा कब आने वाली है सुनामी, खतरे व नुकसान का पहले ही लग जाएगा अंदाजा

आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद एन मलिक व उनकी टीम भविष्य में आने वाली सुनामियों का कर रही है आकलन।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 04:00 PM (IST)
आइआइटी बताएगा कब आने वाली है सुनामी, खतरे व नुकसान का पहले ही लग जाएगा अंदाजा
आइआइटी बताएगा कब आने वाली है सुनामी, खतरे व नुकसान का पहले ही लग जाएगा अंदाजा

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। पिछले आठ हजार वर्षों में देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में सात सुनामियां आईं थी, जिसने अंडमान द्वीप समूह और अन्य हिस्सों को बेहद प्रभावित किया था। इनमें से तीन काफी विनाशकारी थी। सभी सुनामियों के सुबूत आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने खोज निकाले हैं। पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रो. जावेद एन मलिक और उनकी टीम भविष्य में आने वाले छोटी और बड़ी सुनामियों का आकलन कर रही है।

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नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित हो चुका है शोध

वह अन्य विभागों के साथ मिलकर ऐसा मॉड्यूल विकसित कर रहे हैं, जिनसे खतरे और उससे होने वाले नुकसान का काफी पहले अंदाजा लगाया जाएगा। प्रो. मलिक और उनकी टीम 2005 से अंडमान द्वीप समूह पर अब तक आए सुनामी और भूकंपों की पड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने ङ्क्षहद महासागर से सटे समुद्री तटों, स्थानीय तलछटों की संरचनाओं और विशालकाय गड्ढों का अध्ययन किया। वहां सबूत एकत्रित किए। उसके आधार पर किस वर्ष में सुनामी आई थी, उसकी जानकारी दी। उनके शोध नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित हो चुकी है।

कब-कब आई सुनामी

इतनी बड़ी सुनामी 660 से 880 सीई, 1300 से 1400 सीई और 2004 में आई थी। जबकि छोटी सुनामी 1679, 1762, 1881, 1941 में आई थी।

देश सुरक्षित रहेगा

प्रो. मलिक के मुताबिक आइआइटी के डेटा एकत्र करने से भारत को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। भविष्य की सुनामी के प्रभाव को लेकर तैयारियां और सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जा सकता है।

खतरे का मूल्यांकन चुनौती

अंडमान निकोबार द्वीप समूह के साथ देश के पूर्वी तट के लिए एक सुनामी के खतरे का मूल्यांकन करना बड़ी चुनौती है। सुनामी का केंद्र बिंदु अंडमान पर होने से देश काफी प्रभावित हो सकता है। भारत की घनी आबादी तटीय क्षेत्रों के पास रहती है।  


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