ब्लाकचेन सिस्टम पर तैयार होंगे भूमि रिकार्ड, आइआइटी कानपुर का एलडीए से करार, कर्नाटक भी ले रहा मदद
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के दीक्षा समारोह में प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ की गई ब्लाकचेन तकनीक के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने करार किया है। कर्नाटक सरकार भी आइआइटी से मदद ले रहा है। भूमि संबंधी रिकार्ड को ब्लाकचेन तकनीक पर लाया जाएगा।
कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के दीक्षा समारोह में प्रधानमंत्री ने जिस ब्लाकचेन तकनीक पर आधारित डिजिटल डिग्री का शुभारंभ किया था, संस्थान ने अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) और कर्नाटक राज्य में भूमि संबंधी रिकार्ड तैयार करना शुरू किया है। इस उन्नत तकनीक में कोई भी व्यक्ति डिजिटल दस्तावेजों में छेड़छाड़ या बदलाव नहीं कर सकेगा। कुछ निजी कंपनियों ने भी अपने दस्तावेजों व शेयर को ब्लाकचेन आधारित बनाने की इच्छा जताई है।
आइआइटी के प्रो. अमेय करकरे ने बताया कि ब्लाकचेन प्रणाली में डाटा ब्लाक में सुरक्षित रहता है। कोई व्यक्ति डाटा को अपलोड भी करना चाहे तो उसमें बदलाव नहीं कर सकता। साफ्टवेयर की मदद से डाटा के कुछ ही अंश को ही प्रदर्शित करने की सुविधा मिलती है। इससे अगर कोई विभाग कुछ जरूरी चीजें प्रदर्शित न करना चाहे तो ऐसा मुमकिन हो सकता है। प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि बीते नवंबर में आइआइटी की इंक्यूबेटेड कंपनी क्रबन ने कर्नाटक सरकार की प्रमुख साफ्टवेयर विकास एजेंसी और सेंटर फार स्मार्ट गवर्नेंस के साथ सभी ई-गवर्नमेंट प्रोक्योरमेंट (ई-जीपी) प्रणालियों के लिए विकेंद्रीकृत लाइसेंस प्राप्त ब्लाकचेन नेटवर्क विकसित करने के लिए करार किया था। इसके तहत कर्नाटक में भूमि संबंधी तमाम रिकार्ड को ब्लाकचेन प्रणाली के जरिए सुरक्षित किया जाएगा। इसी तरह अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के साथ भी करार हुआ है। एलडीए में भी भूमि संबंधी रिकार्ड को ब्लाकचेन तकनीक पर लाया जाएगा।
यह है ब्लाकचेन : आइआइटी के विशेषज्ञों ने बताया कि ब्लाकचेन दो शब्दों ब्लाक व चेन से मिलकर बना है। ब्लाकचेन टेक्नोलाजी में बहुत सारे डाटा ब्लाक होते हैं। यानी,इन ब्लाक के रूप में डाटा रखा जाता है और अलग-अलग ब्लाक जुड़कर डाटा की लंबी चेन बनाते हैं। जैसे ही नया डाटा आता है तो उसे एक नए ब्लाक में दर्ज किया जाता है। ब्लाकचेन में जो डाटा रहता है, उसमें ट्रांजेक्शन का ब्योरा होता है। डाटा भेजने, ग्रहण करने वाले और उसके अकाउंट की पूरी जानकारी होती है। बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लाकचेन तकनीक पर आधारित है। किसी डाटा में छेड़छाड़ की कोशिश भी नहीं की जा सकती है, क्योंकि उस ब्लाक के साथ ही अन्य सभी ब्लाक का डाटा बदलना पड़ेगा।