IIT Kanpur Foundation Day Special: आत्मनिर्भर भारत की उड़ान है आइआइटी का ड्रोन एक्सीलेंस सेंटर, आपरेशन सिंदूर में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
IIT Kanpur Foundation Day Special: आईआईटी में स्थापित ड्रोन एक्सीलेंस सेंटर देश को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रहा है। यहां आधुनिक ड्रोन तकनीक पर शोध, डिजाइन और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

आइआइटी कानपुर में तैयार मानव रहित वाहन। फोटो: आईआईटी
अखिलेश तिवारी, जागरण कानपुर। IIT Kanpur Foundation Day Special: आपरेशन सिंदूर में आइआइटी कानपुर के कामिकाजि ड्रोन ने अहम भूमिका निभाई और अब देश की सुरक्षा से लेकर निगरानी और अन्य मोर्चाें पर प्रदर्शन के लिए आइआइटी कानपुर के ड्रोन तैयार हैं। अनुसंधान और नवाचार उत्कृष्टता, उन्नत परीक्षण अवसंरचना और एक फलते-फूलते स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की वजह से ही आइआइटी को ड्रोन का एक्सीलेंस सेंटर भी बनाया गया है। इस सेंटर से तकनीकी और व्यावसायिक मार्गदर्शन, अत्याधुनिक प्रोटोटाइपिंग और परीक्षण सुविधा से स्टार्टअप्स का मार्गदर्शन भी किया जा रहा है। सेंटर के साथ 20 स्टार्टअप्स हैं जो भारत को ड्रोन शक्ति बनाने में जुटे हैं।
देश की ड्रोन जरूरतों का अनुमान आइआइटी के विज्ञानियों ने कई साल पहले ही कर लिया था। सीमित संसाधनों के साथ आइआइटी के एयराेस्पेस इंजीनियरिंग में ड्रोन अनुसंधान की शुरुआत की गई। इसी साल जब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष हुआ तो आइआइटी कानपुर में तैयार कामिकाजि ड्रोन ने भी अपनी अहम भूमिका का निर्वाह किया है। यूक्रेन युद्ध के बाद से पूरी दुनिया में ड्रोन के उपयोग पर लोगों का अब ध्यान गया है लेकिन आइआइटी में कई साल पहले से ही इस पर काम शुरू हो गया था।
पिछले दशक भर में आइआइटी के विज्ञानियों ने मानवरहित हवाई वाहनों के क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और डिज़ाइन में अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है। प्रदेश सरकार ने आइआइटी विज्ञानियों के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए ड्रोन उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना में मदद की और अब यह केंद्र अनुसंधान व नवाचार उत्कृष्टता, उन्नत परीक्षण अवसंरचना और एक फलते-फूलते स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अपनी विशेष पहचान स्थापित कर चुका है। इस केंद्र में मानव रहित वाहनों के लिए दो समूहों में 20 स्टार्टअप्स को शामिल किया गया है। मैपिंग, निगरानी और लाजिस्टिक्स जैसे उद्देश्यों को पूरा करने वाले ड्रोन इस केंद्र की विशेषता हैं।
स्टार्टअप्स के पहले समूह में सीडी स्पेस, एंड्योरएयर सिस्टम्स, टेराक्वा यूएवी और दूसरे समूह में आर्किन लैब्स, जार्बिट्स, फ्लेमबैक टेक और माराल जैसे प्रमुख स्टार्टअप ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। एंड्योरएयर को 75 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश भी मिल चुका है। जो इसकी सफलता की कहानी कहता है।
आइआइटी के ड्रोन सेंटर में देश का पहला गस्ट वाल सेटअप, मोटर और प्रोपेलर परीक्षण सुविधाएं, कम्पोजिट और मेटल प्रोटोटाइपिंग सुविधाएं विकसित की गई हैं। आइआइटी की अपनी फ्लाइट लेबोरेटरी है जिसमें डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन से अनुमोदित एक रिमोट पायलट ट्रेनिंग आर्गनाइजेशन भी स्थापित किया गया है। ड्रोन एवं यूएवी उड़ाने के लिए यहां अब रिमोट पायलट सर्टिफिकेट भी दिया जा रहा है। इसके तहत पहले बैच को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। सेना के जवानों के एक बैच को विशेषज्ञ ड्रोन आपरेटर और मेंटेनर बनाने के लिए भी सेंटर में प्रशिक्षण दिया गया है।

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