मुंबई में प्रदूषण मापेंगे आइआइटी कानपुर के सस्ते सेंसर, सात महीने तक चलेगा ट्रायल
अभी जो काम डेढ़ करोड़ का रिफ्रेश मॉनीटर कर रहा वही आकलन 60 हजार रुपये से बने सेंसर करेंगे।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। अभी मुंबई में प्रदूषण मापने का जो काम डेढ़ करोड़ रुपये के रिफ्रेश मॉनीटर कर रहे हैं, वही काम आइआइटी कानपुर की तकनीक से महज 60 हजार रुपये में बने प्रदूषण मापक सेंसर करेंगे। आइआइटी से जुड़े स्टार्टअप द्वारा तैयार सेंसर एक नवंबर को मुंबई में 15 प्रदूषण जांच केंद्रों पर लगाए जाएंगे। यहां शत प्रतिशत बेहतर परिणाम देने वाले सेंसर का अब मुंबई में सात महीने तक परीक्षण चलेगा। मुफीद साबित होने पर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन्हें अपना लेगा।
पीएम-2.5 व हानिकारक गैसों के डाटा का होगा तुलनात्मक अध्ययन
परियोजना के प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर एवं सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आइआइटी कानपुर के बीच करार हुआ है। इसमें देश से चार स्टार्टअप के सेंसर चुने गए हैं। वहां ये सेंसर लगाकर पीएम-2.5, पीएम 10 व ओजोन के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड व ओजोन का स्तर देखा जाएगा। इसकी निगरानी आइआइटी ही करेगा। रिफ्रेश मॉनीटर और प्रदूषण मापक सेंसर दोनों की रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। मानक पर खरा उतरने पर स्थायी रूप से वहां प्रदूषण मापक केंद्रों पर इसका इस्तेमाल होगा।
आइआइटी में सफल रहा परीक्षण
आइआइटी में इस सेंसर का परीक्षण परिसर में सफल रहा है। यहां पूरे परिसर में 28 स्थानों पर यह प्रदूषण मापक यंत्र लगाए गए हैं जो पीएम-2.5, पीएम 10 व ओजोन के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड व ओजोन का स्तर भी बता रहे हैं। आमतौर पर सेंसर की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक होती है लेकिन इन सेंसर को यहां महजा 60 हजार रुपये में तैयार किया गया है, यह बड़ी उपलब्धि है।
इनका ये है कहना
इस सेंसर से वायु प्रदूषण मापने का खर्च बहुत कम हो जाएगा और वायु प्रदूषण स्तर का आकलन व विश्लेषण बेहतर होगा। मुंबई में सात महीने तक सस्ते प्रदूषण मापक सेंसर का परीक्षण चलेगा। उम्मीद है कि यह सेंसर वहां स्वीकृत किया जाएगा।
-सच्चिदानंद त्रिपाठी, प्रोफेसर, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी