आइआइटी का दीक्षा समारोह : पुलेला गोपीचंद समेत तीन हस्तियों को डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि Kanpur News
52वें समारोह में 1626 छात्र-छात्राओं को मिली उपाधि पहली बार 208 को पीएचडी की मिली डिग्री।
कानपुर, जेएनएन। आइआइटी कानपुर का 52वां दीक्षा समारोह शुक्रवार को आइआइटी के सभागार में आयोजित हुआ। इसमेंं तीन हस्तियों डीआरडीओ के एरोनॉटिकल सिस्टम्स की डायरेक्टर जनरल डॉ. तेसी थॉमस, इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन पद्मश्री सुधा मूर्ति व भारतीय बैडमिंटन टीम के चीफ कोच पुलेला गोपीचंद को डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि से सम्मानित किया गया।
सभी हस्तियों ने आइआइटी कानपुर की जमकर सराहना की। साथ ही कहा कि आइआइटी कानपुर ने देश को तमाम नामचीन उद्योगपति, वैज्ञानिक व कई अन्य उच्च पदों पर बैठने वाली प्रतिभाएं दीं। आइआइटी कानपुर के निदेशक अभय करंदीकर ने संस्थान की उपलब्धियों के विषय में बताया। कहा कि यह आइआइटी के इतिहास में पहली बार हुआ है जब 208 छात्र-छात्राओं को पीएचडी की डिग्री दी गई। तीन अलग-अलग चरणों में हुए समारोह के दौरान स्नातक व परास्नातक स्तर पर 1626 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गईं। सभी छात्रों ने कुर्ता-पायजामा पहनकर उपाधि प्राप्त की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नैसकॉम के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने वर्ष 1973 में यहां से अपनी पढ़ाई की। बोले, मैंने पहली बार कंप्यूटर यहीं पर देखा। उन्होंने बताया कि किसी भी छात्र को जिंदगी भर सीखना चाहिए। वहीं संचालक मंडल के अध्यक्ष डॉ.के राधाकृष्ण ने कहा कि अगर सफल होना है तो कठिन परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। समारोह में मैथ्स एंड साइंस एजुकेशन के छात्र सोमेश्वर जैन को प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। इसके अलावा बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र संतोष को डॉ. शंकर दयाल शर्मा मेडल के लिए चयनित किया गया। छात्र सुनील कुमार पांडेय व अनंत नारायण वर्मा को डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।
देश को गति दे रहा स्टार्ट अप
प्रो. बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि नौकरी की तरफ भागने की बजाय यह समय दूसरों को नौकरी देने का है। आइआइटी के छात्रों मे वह क्षमता है कि वह इसमे अपना योगदान देकर देश को प्रगति कि ओर ले जाने मे अपनी मत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होने भी उद्यमिता को लक्ष्य बनाकर इस संस्थान से डिग्री प्राप्त की थी। कंप्यूटर साइंस मे उनकी रुचि थी इसलिए उसी को पेशा बनाया। डिजाइन इंजीनियर के क्षेत्र मे उन्होने काम किया। आइआइटी के छात्रों के सामने ब्लॉक चेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व इंडस्ट्री 4.0 के क्षेत्रो मे करने के लिए बहुत कुछ है।
यह क्षेत्र इतना व्यापक है कि स्टार्टअप के जरिये अपनी सोच को आयाम दिया जा सकता है। कहा कि स्वास्थ, कृषि, फसल उत्पादन तकनीक व सामाजिक सरोकारों की दिशा मे काम करने के असीम अवसर हैं। कहा कि ज्ञान, लगातार अध्ययन व सही दिशा मे श्रम से ही व्यक्ति आगे बढ़ता है। शिक्षण संस्थान के दो काम होते हैं एक ज्ञान और दूसरा चरित्र निर्माण, यह दोनों काम आइआइटी बखूबी कर रहा है। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि आइआइटी मे जल संरक्षण, प्रदूषण व सामाजिक सरोकारों पर शोध कार्य हो रहा है1 नए सत्र मे प्रोफेसरों कि संख्या बढ़ाए जाने कि तैयारी है। 50 नए प्रोफेसर नियुक्त किए जाएंगे।