और ताकतवर होगी भारतीय सेना, दुश्मन के छक्के छुड़ा देगा 'स्वदेशी' रॉकेट
आइआइटी विकसित कर रहा जमीन से जमीन तक मार करने वाले राकेट की तकनीक अंतिम चरण में निर्माण।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 01:05 PM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 10:52 AM (IST)
कानपुर [जागरण स्पेशल]। भारतीय वायु सेना की ओर से पाक पर किए गए एयर सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न मना रहे देशवासियों के लिए एक और अच्छी खबर है। देश में एक ऐसा 'स्वदेशी' रॉकेट तैयार किया जा रहा है जो दुश्मन के छक्के छुड़ा देगा। जमीन से जमीन पर मार करने वाले इस रॉकेट से भारतीय सेना को और मजबूती मिलेगी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए आइआइटी कानपुर '122 एमएम एक्सटेंडेड रेंज रॉकेट की तकनीक पर काम कर रहा है। फिलहाल इसका निर्माण अंतिम चरण में है। साथ ही खामियों को दुरुस्त करने के लिए आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एआरडीई) की टीम गठित कर दी गई है। इसके चेयरमैन आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके घोष हैं। डीआरडीओ के तहत आने वाले इस रिसर्च विंग ने आइआइटी के साथ मिलकर काम तेज कर दिया है।
80 किमी दूर तक मार करने में सक्षम
'मेक इन इंडिया' के तहत देश में पहली बार स्वदेशी रॉकेट तैयार किया जा रहा है। अभी तक इस तरह के रॉकेट रूस में असेंबल कर बनाए जाते थे। इसकी खासियत यह है कि लांचर से लांच होने के बाद यह हवा में 15 किलोमीटर ऊपर तक जाएगा। इससे मारक क्षमता बढ़ेगी और 80 किमी दूर तक जाने में सक्षम होगा।
लक्ष्य भेदने की अपार क्षमता
रॉकेट में लक्ष्य भेजने की अपार क्षमता होगी। जीपीएस आधारित प्रणाली नेवीगेशन के माध्यम से यह दुश्मन के खेमे तक जाएगा और उसे नेस्तनाबूद कर देगा। फिलहाल इसकी खामियां को दुरस्त कर परीक्षण की तैयारी की जा रही है। प्रयोगशाला के बाद खुले मैदान में भी इसका परीक्षण किया जाएगा।
मानव रहित टोही विमान का सफल परीक्षण
आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग की ओर से तैयार किए गए मानव रहित टोही विमान का सफल परीक्षण कर लिया गया है। स्टेल्थ (अदृश्य) तकनीक पर आधारित विमान दुश्मन को नजर आए बिना ही उनके खेमे में घुसने की ताकत रखता है। एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एके घोष ने बताया कि स्टेल्थ तकनीक दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही है। इन्हें अदृश्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह रडार की पकड़ में नहीं आते। डीआरडीओ ने इसकी तकनीक का परीक्षण कर लिया है। आइआइटी में इस विमान की गति, आवाज, हवा में स्थिरता का परीक्षण किया जा रहा है। आठ माह बाद इसका अंतिम परीक्षण होगा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए आइआइटी कानपुर '122 एमएम एक्सटेंडेड रेंज रॉकेट की तकनीक पर काम कर रहा है। फिलहाल इसका निर्माण अंतिम चरण में है। साथ ही खामियों को दुरुस्त करने के लिए आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एआरडीई) की टीम गठित कर दी गई है। इसके चेयरमैन आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके घोष हैं। डीआरडीओ के तहत आने वाले इस रिसर्च विंग ने आइआइटी के साथ मिलकर काम तेज कर दिया है।
80 किमी दूर तक मार करने में सक्षम
'मेक इन इंडिया' के तहत देश में पहली बार स्वदेशी रॉकेट तैयार किया जा रहा है। अभी तक इस तरह के रॉकेट रूस में असेंबल कर बनाए जाते थे। इसकी खासियत यह है कि लांचर से लांच होने के बाद यह हवा में 15 किलोमीटर ऊपर तक जाएगा। इससे मारक क्षमता बढ़ेगी और 80 किमी दूर तक जाने में सक्षम होगा।
लक्ष्य भेदने की अपार क्षमता
रॉकेट में लक्ष्य भेजने की अपार क्षमता होगी। जीपीएस आधारित प्रणाली नेवीगेशन के माध्यम से यह दुश्मन के खेमे तक जाएगा और उसे नेस्तनाबूद कर देगा। फिलहाल इसकी खामियां को दुरस्त कर परीक्षण की तैयारी की जा रही है। प्रयोगशाला के बाद खुले मैदान में भी इसका परीक्षण किया जाएगा।
मानव रहित टोही विमान का सफल परीक्षण
आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग की ओर से तैयार किए गए मानव रहित टोही विमान का सफल परीक्षण कर लिया गया है। स्टेल्थ (अदृश्य) तकनीक पर आधारित विमान दुश्मन को नजर आए बिना ही उनके खेमे में घुसने की ताकत रखता है। एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एके घोष ने बताया कि स्टेल्थ तकनीक दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही है। इन्हें अदृश्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह रडार की पकड़ में नहीं आते। डीआरडीओ ने इसकी तकनीक का परीक्षण कर लिया है। आइआइटी में इस विमान की गति, आवाज, हवा में स्थिरता का परीक्षण किया जा रहा है। आठ माह बाद इसका अंतिम परीक्षण होगा।
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