पहाड़ों पर ड्रोन से बोएंगे 'हरियाली', पूर्वोत्तर में मिला प्रकृतिक गैस का भंडार Kanpur News
कानपुर आइआइटी में आयोजित पूर्व छात्र सम्मेलन में आए विशेषज्ञों ने दी जानकारी।
कानपुर, जेएनएन। आइआइटी में पूर्व छात्र सम्मेलन में आए विशेषज्ञों ने अपने अपने अनुभव साझा किए। किसी ने पहाड़ों पर ड्रोन से बीजारोपण कर हरियाली बढ़ाने की योजना बताई तो किसी ने पूर्वोत्तर में गैस भंडार मिलने का खुलासा किया। वहीं टेक्सास से आए पूर्व छात्र ने कॉल सेंटर पर अब कंप्यूटर द्वारा जवाब दिए जाने की जानकारी दी।
पहाड़ पर खत्म हो रही प्राकृतिक सुंदरता
पूर्व छात्र सम्मेलन में आए 1985 बैच के आइआइटी के पूर्व छात्र व हरियाणा के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक विनोद कुमार ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में कई जगह हरे-भरे पेड़ कम होने से प्राकृतिक सुंदरता खत्म होती जा रही है। इंसान या मशीन की पहुंच से दूर स्थित पहाड़ों पर हरियाली के लिए ड्रोन से बीजारोपण किया जाएगा। आइआइटी के डिलीवरी सिस्टम से करीब एक किमी ऊंचाई से बीजों को एक गन नुमा उपकरण से पहाड़ी क्षेत्रों पर ऐसे स्थानों पर तीन-तीन मीटर की दूरी पर बीज बोए जाएंगे। बीजों पर एक विशेष कवच लगाया जाएगा ताकि बीज नष्ट न हो और पहाड़ की जमीन पर गहराई से जम सके। इससे पेड़-पौधों से महरूम हुए पहाड़ों पर फिर बहार आएगी। हरियाणा का वन विभाग बहुत जल्द इसके लिए करार करने की तैयारी में है।
लाइडर तकनीक से पता लगाएंगे सूखे पहाड़
उन्होंने बताया कि वनों में बायोमास, पेड़, हरियाली, सूखा व उसके क्षेत्रफल का सटीक पता लगाने के लिए लाइडर तकनीक इजाद की है। यह किसी भी क्षेत्र का डेटा इकट्ठा कर सटीक जानकारी दे सकती है। इसका इस्तेमाल वह फ्रांस में 300 हेक्टेयर वन क्षेत्र में कर चुके हैं। विदेशों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है। यहां उसकी मदद से कम पेड़ वाले पहाड़ तलाशेंगे। इसके बाद आइआइटी की तकनीक से बीजारोपण करेंगे।
पूर्वोत्तर तटों पर ओएनजीसी को मिला गैस का भंडार
ऑयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) के मुख्य महाप्रबंधक पुनीत किशोर ने बताया कि पूर्वोत्तर तटों पर प्राकृतिक गैस का भंडार होने की संभावना मिली है। ऐसे में इन तटों पर ओएनजीसी स्टेशन स्थापित करेगा।
कॉल सेंटर पर सवालों के जवाब देगा इंसानी कंप्यूटर
टेक्सास यूनिवर्सिटी डलास में कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रो.गोपाल गुप्ता ने बताया कि आने वाले समय में कॉल सेंटर पर सवालों के जवाब इंसानी कंप्यूटर देगा। ऑटोमेशन ऑफ कॉमनसेंस राइजिंग पर काम कर रहे प्रो.गोपाल ने इसका परीक्षण किया है। वह बताते हैं कि यह इंसानी कंप्यूटर बैंक के लिए भी मददगार साबित होगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से ग्र्राहकों का पिछला ब्योरा विस्तार से आसानी से मिल जाएगा।