Move to Jagran APP

अगर कर रहे हैं ई-सिगरेट का सेवन तो जाइये सावधान, हो सकते हैं ये नुकसान

ई-सिगरेट को युवक, युवतियां और गर्भवती भी इस्तेमाल कर रही हैं। कंपनी लाभ के लिए इसे हानिकारक नहीं बताते हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 05:37 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 05:37 PM (IST)
अगर कर रहे हैं ई-सिगरेट का सेवन तो जाइये सावधान, हो सकते हैं ये नुकसान
अगर कर रहे हैं ई-सिगरेट का सेवन तो जाइये सावधान, हो सकते हैं ये नुकसान

कानपुर [जागरण स्पेशल]। सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए बाजार में आई ई-सिगरेट युवाओं के बीच काफी पसंद की जा रही है, लेकिन यह भी कम खतरनाक नहीं है। इसमें प्रयुक्त केमिकल जानलेवा हैं, इसके दुष्प्रभावों से पॉपकॉन लंग्स एवं लंग्स कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ई-सिगरेट के दुष्प्रभाव पर जीएसवीएम के रेस्पेरेटरी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. सुधीर चौधरी अध्ययन कर रहे हैं। उनके मुताबिक ई-सिगरेट युवक, युवतियां और गर्भवती भी इस्तेमाल कर रही हैं। इसका उत्पादन करने वाली कंपनी व्यावसायिक लाभ के लिए इसे हानिकारक नहीं बताते हैं जबकि यह सिगरेट के बराबर हानिकारक है।

loksabha election banner

इस तरह आई ई-सिगरेट

वर्ष 2003 में चीन में ई-सिगरेट का अविष्कार हुआ। यह बैटरी से चलने वाला निकोटिन डिलीवरी का यंत्र है। इसमें द्रव्य पदार्थ, जिसे वेपर (भाप) कहते हैं, को गर्म करने के बाद मुंह से खींचा जाता है। इसे यह सोचकर बनाया गया था कि बिना टॉर या कार्बन के फेफड़े तक कम मात्रा में निकोटिन जाएगा। व्यावसायिक फायदे के लिए ऐसे तरीके अपनाए गए, जिससे अधिक मात्रा में निकोटिन फेफड़े में जाने लगा।

शरीर को रहता इसका खतरा

-शुक्राणुओं में कमी

-गर्भपात का खतरा

-गर्भस्थ शिशु को नुकसान

-रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना

हो जाएंगे पॉपकॉन लंग्स से पीडि़त

महानगरों में ई-सिगरेट एवं हुक्का बार का चलन तेजी से बढ़ा है। हुक्का बार में फ्लेवर्ड ई-लिक्विड होता है जबकि ई-सिगरेट में केमिकल वेपर के रूप में होता है। दोनों में हानिकारक डाई एसिटाइल केमिकल (बटर जैसा जो पॉपकॉन में मिलाते थे, अब प्रतिबंधित) होता है। इसके सेवन से फेफड़े में पॉपकॉन जैसा उभरने पर पॉपकॉन लंग्स कहते हैं। इस बीमारी को ब्रांक्योलाइटिस आब्लिट्रेंन कहा जाता है। इसमें फेफड़ों की छोटी श्वांस नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जो आगे चलकर आइएलडी में परिवर्तित हो जाती है। इसकी चपेट में आकर युवा एवं महिलाएं तेजी से फेफड़े की बीमारी का शिकार हो रहे हैं।

ई-सिगरेट के खतरे

-7000 से अधिक केमिकल पाए जाते हैं।

-70 केमिकल से कैंसर, सीओपीडी, हृदय रोग एवं लकवा का खतरा।

-02 विकल्प बाजार में आए, निकोटिन च्यूइंगम एवं ई-सिगरेट।

-01 फीसद सिगरेट पीने वालों की ही छूटी लत।

-70 फीसद तक बढ़ गया दुरुपयोग खतरनाक केमिकल।

-कार्बन मोनोआक्साइड, कैडमियम (बैटरी में पाया जाता), आर्सेनिक, अमोनिया, रे-डॉन (खतरनाक न्यूक्लियर गैस), मिथेन, टॉर (चारकोल), निकोटिन, एसिटोन, फार्मलडिहाइड आदि।

ई-सिगरेट की क्वाइल में हानिकारक मेटल

ई-सिगरेट के वेपर को गर्म करने के लिए क्वाइल का इस्तेमाल होता है। क्वाइल में निकोटिन, फार्मालडिहाइड, फेनाले, टिन, निकिल, कॉपर, लेड, क्रोमियम, आर्सेनिक एवं डाई एसेटाइल मेटल हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.