हर साल एक मीटर गिर रहा जलस्तर, जल दोहन नहीं रुका तो धंसने लगेगा शहर Kanpur News
जागरण विमर्श में एचबीटीयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपेश सिंह बोले भूजल स्तर सुधारने के लिए सभी को करना होगा प्रयास।
कानपुर, जेएनएन। शहर में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। जल दोहन के कारण पानी का स्तर प्रतिवर्ष एक मीटर कम हो रहा है। जिससे भीतरी लेयर यानी मिट्टी व पानी का गुब्बारा धंसने लगा है। हम फर्श व सीमेंट की जमीन पर नहीं बल्कि इसी लेयर पर बैठे हैं। अगर जल दोहन यूं ही धड़ल्ले से होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब शहर धंसने लगेगा। इसे तकनीकी भाषा में 'सिंक होल' कहते हैं। जहां पर ये प्रक्रिया होती है वहां से लेकर 500 मीटर का दायरा धंसने लगता है। यह प्रक्रिया इतनी धीमी होती है कि इसका पता अचानक चलता है। ये बातें हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के सिविल इंजीनियङ्क्षरग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपेश सिंह ने दैनिक जागरण में सोमवार को हुए जागरण विमर्श के दौरान बताईं।
'जल संरक्षण को प्रभावी कैसे बनाएं' विषय के अंतर्गत उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए। विश्व स्वास्थ्य संगठन व विश्व बैंक की रिपोर्ट में जल स्तर तेजी के साथ घटने की चेतावनी दी गई है। इससे बचाव के लिए सबसे पहले हमें यह आकलन करना होगा कि किस स्थान पर पानी कितना खर्च हो रहा है। इससे यह पता चल जाएगा कि लोड कहां-कहां है। जल सप्लाई ठीक होनी चाहिए, जिससे गलत तरह से ग्राउंड वाटर न निकाला जाए।
केवल सरकारी, गैर सरकारी व प्राइवेट संस्थानों को ही नहीं शहरवासियों को भी अपने भविष्य के लिए पानी के संरक्षण के बारे में विचार करना होगा। इसके लिए रेन वॉटर हारवेस्टिंग सबसे बेहतर उपाय है। सौ मीटर के क्षेत्रफल में अगर साल भर बारिश के पानी का संचय किया जाए तो इतना पानी इकट्ठा हो जाता है कि पांच लोगों का परिवार दो साल तक पानी पी सकता है।
85 फीसद व्यक्ति भूजल पर निर्भर
डॉ. दीपेश ने बताया कि जल संरक्षण करना इसलिए भी जरूरी है कि 85 फीसद व्यक्ति भूजल पर निर्भर हैं। अगर इस पर निर्भरता की बात की जाए तो चीन से ज्यादा भारतीय भूजल का इस्तेमाल करते हैं। देश में जल वितरण का तरीका सुधारने की जरूरत है। कहीं 12 इंच की बोङ्क्षरग करके जल दोहन किया जा रहा है तो कहीं 24 घंटे लगातार पानी बर्बाद हो रहा है। हमें इसकी बर्बादी रोककर रेन वॉटर हारवेस्टिंग पर ध्यान देने की आवश्यकता है।