आइडी नहीं तो कैसे जाएं रैन बसेरा
जागरण संवाददाता, कानपुर : आनंदेश्वर मंदिर परमट के बाहर उन्नाव के रहने वाले 55 वर्षीय राम सुमेर प
जागरण संवाददाता, कानपुर : आनंदेश्वर मंदिर परमट के बाहर उन्नाव के रहने वाले 55 वर्षीय राम सुमेर पाण्डेय ने कहा कि आइडी न होने के कारण रैन बसेरा में जाने को नहीं मिलता है। वहीं मध्य प्रदेश से कामकाज की तलाश में परिवार के साथ आए संतोष ने बताया कि सामान रखकर कैसे जाएं कोई सामान उठा ले जाएगा। इसके रखने की भी व्यवस्था की जाए। शहर में 28 रैन बसेरा हैं पर इनका प्रचार प्रसार न होने के कारण लोगों को जानकारी तक नहीं है।
दैनिक जागरण की टीम रैन बसेरों का हाल देखने रविवार शाम को निकली तो पोस्टमार्टम हाउस स्वरूप नगर के बगल में बने रैन बसेरा में दो ही लोग सो रहे थे। अलाव जल रहा था लेकिन तख्त खाली पड़े थे। कर्मचारी ने बताया कि यहीं हाल रोज का है। एलएलआर अस्पताल बगल में है। लोग परिसर में खुले में सोते है लेकिन रैन बसेरा में नहीं आना चाहता है। बांदा के अच्छे लाल ने बताया कि बदबू के कारण सोने में दिक्कत होती है। चुन्नीगंज बस स्टेशन के पास रिक्शे पर लेटे रामधनी चाहकर भी शेल्टर होम में नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें रिक्शा चोरी होने का डर है। सड़क पर रिक्शा लावारिस नहीं छोड़ सकते। यही वजह है कि वे रिक्शे पर ही सो गए।
कंबल की आस में खुले में सोते लोग
रैन बसेरा न जाने का एक कारण कंबल मिलना भी है। कड़ाके की ठंड में सड़क व फुटपाथ पर लेटे लोगों को लगता है कि रैन बसेरा में चले जाएंगे तो कंबल व मिलने वाले कपड़ों से वंचित रह जाएंगे।
रैन बसेरा में जलने लगे अलाव
दैनिक जागरण के रैन बसेरों में अलाव की व्यवस्था न होने की खबर छापे जाने के बाद नगर निगम ने गंभीरता से लेते हुए रैन बसेरो में अलाव की व्यवस्था की है।