कानपुर ने देखा है केरल के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का ये मानवीय चेहरा Kanpur News
कानपुर से 1980 में ने आरिफ मोहम्मद खान कांग्रेस के सांसद बने थे चमनगंज में है उनकी ससुराल है।
कानपुर, [श्रीनारायण मिश्र]। 'चिलचिलाती धूप में सांसद के वाहनों का काफिला खड़ा था। उनकी गाड़ी के आगे रिक्शा खड़ा करके एक रिक्शाचालक उसी पर लेट गया और मुंह पर अंगौछा डालते ही उसे नींद आ गई। सांसद बाहर निकले तो उनकी सुरक्षा में लगे जवान रिक्शा चालक को डांटते हुए भगाने दौड़े। सांसद ने जवानों को रोका और कहा कि थककर गर्मी में सो रहे गरीब को जगाना ठीक नहीं है। गाड़ी बैक करिए और फिर चलिए। काफिला बैक हुआ और सांसद उसमें बैठकर गंतव्य को रवाना हुए। यह सांसद थे आरिफ मोहम्मद खान, जिन्हें राष्ट्रपति ने केरल का राज्यपाल नियुक्त किया है।
1980 में कानपुर से सांसद चुने गए आरिफ मोहम्मद खान की ससुराल यहां चमनगंज में है। इनके ससुर मौलाना इसहाक इल्मी शहर के चर्चित लोगों में थे। उन्हीं की बड़ी बेटी रेशमा आरिफ से उनका विवाह हुआ है। नवनियुक्त राज्यपाल के साले मोहम्मद इरशाद इल्मी बताते हैं कि बेहद युवावस्था में वे 1980 में यहां से चुनाव लड़े थे। उससे पहले कई चुनावों में कांग्रेस यहां से नहीं जीत पाई थी, लेकिन इस युवा चेहरे और नई सोच पर शहर के लोगों ने जमकर वोट दिया और वह करीब 68 हजार वोटों से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। वह आम लोगों में बेहद घुले-मिले थे और ससुराल में ही उनका ऑफिस सा बन गया था। वह शहर में घूमते थे और चौक चौराहों पर लोगों के साथ बैठते थे।
उनके दौर में चलती थी इंडियन एयरलाइंस
इरशाद कहते हैं कि मुझे याद है कि वह इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट से दिल्ली से आते-जाते थे। जब तक वह सांसद रहे यहां से नियमित उड़ान बनी रही।
घंटाघर में पहले भाषण ने जीत लिया शहर का दिल
आरिफ मोहम्मद खान कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में कानपुर पहुंचे तो उन्होंने पहली सभा घंटाघर पर की थी। इरशाद बताते हैं कि उस वक्त उन्होंने बेहद क्लिष्ट हिंदी में भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि 'गंगा की इस पावन धरती पर मैं इंदिरा गांधी का भेजा सिपाही हूं।' इस भाषण ने लोगों को बहुत प्रभावित किया और उनकी जीत तय दिखने लगी थी।
दलहन संस्थान का दिया था तोहफा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकरदत्त मिश्र कहते हैं कि आरिफ साहब संजय गांधी के करीबी थे। संजय गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव थे और वह उनके साथ संयुक्त सचिव के रूप में अटैच थे। सांसद के रूप में उनकी सोच विकासवादी थी। कानपुर में दलहन संस्थान उन्हीं की देन है और यहां उन्होंने एनटीपीसी की स्थापना का भी प्रयास किया था, जिसका स्थानीय स्तर पर विरोध हो गया, इसलिए यह काम नहीं हो पाया।
पत्नी आर्यनगर से चुनी गईं थीं विधायक
आरिफ मोहम्मद खान जब कांग्रेस छोडऩे के बाद जनता दल के टिकट पर 1989 में बहराइच से सांसद चुने गए थे। उसी के साथ हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी रेशमा आरिफ आर्यनगर से जनता दल के ही टिकट पर विधायक चुनी गई थीं।