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Human Trafficking Kanpur: शातिरों मानव तस्करों ने छह महिलाओं को भेज दिया विदेश, आंख मूंदे रही कानपुर की पुलिस

कानपुर में बीते वर्ष सितंबर माह में एक महिला के बेटे ने मुजम्मिल के खिलाफ मुकदमा लिखवाया था लेकिन सुबूत न मिलने की बात कहकर पुलिस कार्रवाई से पल्ला झाड़ती रही। विदेशों में कई महिलाएं फंसी हैं ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 08:47 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 08:47 AM (IST)
Human Trafficking Kanpur: शातिरों मानव तस्करों ने छह महिलाओं को भेज दिया विदेश, आंख मूंदे रही कानपुर की पुलिस
कानपुर में सामने आया मानव तस्करी का बड़ा मामला।

कानपुर, जेएनएन। मुकदमा दर्ज होने के बाद भी छह माह तक बेकनगंज पुलिस लापरवाही बरतती रही और आरोपित एजेंट धड़ल्ले से मानव तस्करी करते रहे। यही नहीं, इस बीच छह महिलाओं को उन्होंने ओमान के मस्कट और कुवैत भेज दिया। वे महिलाएं भी वहां मुसीबत में फंसी हैं।

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बेंगलुरु की एजेंसी ने महिला को भेजा था ओमान

बेकनगंज की 55 वर्षीय महिला को आरोपित मुजम्मिल ने बेंगलुरु की एजेंसी के माध्यम से 23 अक्टूबर 2019 को ओमान भेजा था। ओमान पहुंचने पर महिला पर बेइंतहा जुल्म हुए। उन्हें बंधक बनाकर पीटा गया। उनके बेटे ने पुलिस को बताया था कि ओमान के मस्कट शहर में मां को एजेंट के हाथ बेचा गया था। एजेंट ने फातिमा नामक वृद्धा के हवाले कर दिया। फातिमा, मां से जानवरों जैसा बर्ताव करती थी। उसने भी किसी अन्य व्यक्ति को बेचने की कोशिश की थी। किसी तरह मां ने संपर्क किया तो पुलिस, प्रशासन व सरकार से मदद की गुहार लगाई। ओमान में एक समाजसेविका ने मां की भारतीय दूतावास पहुंचने में मदद की।

जहां कुछ दिन शेल्टरहोम में रहने के बाद पिछले वर्ष 25 अगस्त को महिला वापस आई थीं। तब बेकनगंज थाने में मुकदमा लिखाया गया था, लेकिन पुलिस ने मुजम्मिल व उसके साथियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, बल्कि ओमान के भारतीय दूतावास की किसी रिपोर्ट का इंतजार करती रही। इस बीच मुजम्मिल व उसके साथी अतीकुर्रहमान ने उन्नाव व कानपुर नगर की छह और महिलाओं को ओमान व कुवैत भेज दिया। थाना प्रभारी नवाब अहमद ने बताया कि जांच में आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सुबूत नहीं मिल सके थे। उस मामले में अभी जांच चल रही है। जल्द कार्रवाई होगी।

नेपाल, अफ्रीका, श्रीलंका की दर्जनों महिलाएं फंसीं

डीसीपी सलमान ताज के मुताबिक ओमान से लौटी तीन महिलाओं ने बताया कि ओमान में श्रीलंका की आयशा नामक महिला छह मंजिला दफ्तर चलाती है। उसने सबके फोन, पासपोर्ट छीन लिए हैं। जबरन काम पर भेजती है। यूपी व अन्य राज्यों की महिलाओं के साथ नेपाल, श्रीलंका, बंग्लादेश व अफ्रीका आदि देशों की भी महिलाएं वहां फंसी हैं। सभी पुलिस तक पहुंचना चाहती हैं, लेकिन कड़ा पहरा होने से कामयाब नहीं हो पा रहीं।

एक शहरकाजी के कहने पर पुलिस ने रामू को टरकाया

पीडि़त रामू को फरवरी माह में ही पत्नी संग धोखाधड़ी होने का पता लगा था। उन्होंने कर्नलगंज थाने में शिकायत की तो पुलिस आरोपित अतीकुर्रहमान को थाने लाई, लेकिन एक शहरकाजी ने मध्यस्थता शुरू कर दी। आरोप है कि शहरकाजी के दबाव में पुलिस ने आरोपित को छोड़ दिया। इसके बाद आरोपित ने रामू से 22 हजार रुपये लेकर पत्नी को वापस बुलाने की बात कही, लेकिन एक लाख रुपये और मांगने लगा।

एक महिला को भेजने का 30 हजार रुपये कमीशन

डीसीपी ने बताया कि मानव तस्करी के गिरोह के मुख्य एजेंट दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में हैं। अतीकुर्रहमान व मुजम्मिल सब एजेंट हैं। इन्होंने लोकल स्तर पर गिरोह बनाया है, जिसमें जान पहचान वाली महिलाओं को भी रखा है। ये महिलाएं ही दूसरी महिलाओं को फंसाती हैं। एक महिला को विदेश पहुंचाने के लिए सब एजेंटों को 25 हजार से 30 हजार रुपये कमीशन मिलता है। इसमें से 10 हजार रुपये महिला एजेंट को मिलते हैं।

विदेश भेजने के बाद छोडऩे के लिए भी मांगते हैं रकम

जांच में यह भी पता लगा है कि विदेश में फंसी महिलाओं को वापस बुलाने के लिए भी आरोपित लाखों रुपये मांगते हैं। उन्नाव की एक महिला के परिवार ने 90 हजार रुपये दिए, तब वह लौट सकी। उसने बताया कि नौकरी का झांसा देते समय आरोपित वीजा, टिकट, होटल आदि खर्च ओमान की कंपनी की ओर से वहन किए जाने की बात कहते हैं, लेकिन वहां बंधक बना लिया जाता है। घरवालों से बात भी नहीं करने देते।


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