मानव संसाधन मंत्री बोले, विदेशों में रुतबा बुलंद कर रही आइआइटी कानपुर की शोध Kanpur News
आइआइटी के 60वें स्थापना दिवस में आए थे रमेश पोखरियाल निशंक कहा- जितने शोध हो चुके उसके आगे करें छात्र-छात्राएं।
कानपुर, जेएनएन। देश में बड़ी-बड़ी नीतियां व कार्य योजनाएं बनाने में आइआइटी कानपुर की महत्वपूर्ण भूमिका है। रेलवे, ऊर्जा, स्वास्थ्य समेत अन्य विभाग के बोर्ड में संस्थान के प्रोफेसर वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां पर की जाने वाली शोध यूएस, यूके, जर्मनी व फ्रांस जैसे देशों में पहुंचकर आइआइटी का रुतबा बुलंद कर रही हैं। ये बातें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने आइआइटी के 60वें स्थापना दिवस समारोह में कहीं।
डॉ. निशंक ने कहा कि क्यूएस रैंकिंग के शीर्ष पर पहुंचाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय आइआइटी की मदद करेगा। आइआइटी को अपने विकास की गति बढ़ाने के लिए पूर्व छात्र संघ फंड बनाना चाहिए। आइआइटी दिल्ली इस प्रकार का फंड बना चुका है। इस फंड की पहली किस्त आइआइटी दिल्ली को 250 करोड़ रुपये की मिली। उन्होंने कहा कि इस फंड के अंतर्गत पूर्व छात्र तय करें कि आइआइटी का कैसे विकास हो। उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में काम कर रहे आइआइटी को किसी एक चीज पर पूरा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। प्रत्येक आइआइटी किसी एक क्षेत्र पर शोध करके नई चीज तलाशनी चाहिए। जितने शोध हो चुके हैं, उसके आगे से नए छात्र छात्राएं शुरुआत करें।
पीछे किए गए काम को दोहराने से समय व पैसे दोनों की बर्बादी होती है। इस मौके पर निदेशक अभय करंदीकर ने कहा कि राष्ट्रीय गुणवत्ता सूचकांक आइआइटी की देन है। देश में 11 सचिव और आइआइटी जैसे संस्थानों में दस निदेशक आइआइटी कानपुर के हैं। वह भी उन निदेशकों में एक हैं जिन्होंने आइआइटी कानपुर से पढ़ाई की है। यह उनका सौभाग्य है कि जिस संस्थान के वह छात्र रहे थे, उसके हीरक जयंती वर्ष में निदेशक के तौर पर संबोधित कर रहे हैं।
रोजगारपरक व सामाजिक सरोकारों पर होगी नई शिक्षा नीति
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति ऐसी होगी कि उच्च शिक्षण संस्थानों से निकलने वाले छात्रों को यह सीधे रोजगार से जोड़ेगी। दो लाख से अधिक सुझावों के बाद तैयार की जा रही नई शिक्षा नीति में प्रौद्योगिकी व सामाजिक सरोकारों का समावेश भी होगा। उन्होंने बताया कि 33 वर्ष बाद नई आने वाली नई शिक्षा नीति में में अध्ययनरत छात्रों का ख्याल रखा गया है। इसका लाभ स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक के सभी छात्रों को मिलेगा। इस दौरान 17 पूर्व छात्रों को विशिष्ट पूर्व छात्र अवार्ड व तीन पूर्व प्रोफेसरों को इंस्टीट्यूट फेलो से नवाजा गया।
डॉ. निशंक ने कहा, देश में एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय, 45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज व 16 लाख से अधिक स्कूल हैं। आइआइटी, एनआइटी व ट्रिपल आइटी जैसे 15 हजार बड़े संस्थान हैं। 33 करोड़ छात्र छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। एक करोड़ से अधिक शिक्षक हैं। विषय विशेषज्ञ व प्रोफेसर से लेकर शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के सुझावों पर नई शिक्षा नीति बनाई जा रही है। इससे छात्र छात्राएं शिक्षित तो होंगे ही, देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विदेश को हमारा देश मार्गदर्शन दे रहा है। यहां पर कई शोध यूएस व यूके के साथ मिलकर हो रहे हैं, जिनमें मार्गदर्शन आइआइटी दे रहा है। यूक्रेन में 15 हजार भारतीय छात्र एमबीबीएस में अध्ययनरत हैं। उन्हें पढ़ाने वाले ज्यादातर भारतीय प्रोफेसर हैं।
बढ़ रहा संस्थान, दे रहा देश को नई तकनीक
प्रो. करंदीकर ने कहा कि साइबर सिक्योरिटी सेंटर, फ्लेक्सिबल टेक्नोलॉजी व टेक्नोपार्क के बाद अब सेंटर फॉर इंजीनियङ्क्षरग इन मेडिसिन का निर्माण होने जा रहा है जिससे यह संस्थान तकनीक के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है। इस दौरान मेहता फाउंडेशन के प्रमुख राहुल मेहता ने कहा कि वह आइआइटी को आगे भी अनुदान देते रहेंगे। नए क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से संस्थान को इसके लिए चुना है। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विज्ञान व प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री नीलिमा कटियार, विधायक सुरेंद्र मैथानी के अलावा प्रो. बीवी फणि व प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय समेत अन्य प्रोफेसर व छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
फ्लाइंग टैक्सी का दिया डेमो
स्टार्टअप इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर के युवाओं ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के सामने फ्लाइंग टैक्सी, ड्रोन, मानवरहित यान व अधिक भार लेकर उडऩे वाले छोटे छोटे यान का डेमो दिया। एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर एके घोष के नेतृत्व में यह डेमो दिया गया।