सर्दी के मौसम में बारिश ने बनाया रिकॉर्ड, सूर्य देव के दर्शन नहीं, घरों में दुबके रहे लोग Kanpur News
शहर में बुधवार से शुरू बारिश का सिलसिला रात भर और दूसरे दिन तक जारी रहने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है।
कानपुर, जेएनएन। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण में जाते ही मौसम ने भी अचानक करवट बदल दी है। सर्दी के मौसम में बारिश ने रिकॉर्ड बनाया है। शहर में बुधवार से शुरू हुई बारिश का सिलसिला पूरी रात और गुरुवार तक जारी रहने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। वहीं बारिश के बाद सर्द हवाओं ने ठंड बढ़ा दी, जिससे लोग सुबह से घरों में ही दुबके रहे।
शहर में बारिश के बाद गिरते तापमान ने शहरवासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गुरुवार को जिलाधिकारी के आदेश पर स्कूलों में अवकाश घोषित रहा लेकिन नौकरी करने वाले सुबह जब दफ्तरों के लिए निकले तो समस्या का सामना करना पड़ा। चाय की चुस्कियों व अलाव के बीच लोग इस सर्दी से निजात पाने का प्रयास करते रहे। पूरी रात और सुबह तक रुक रुककर बारिश होती रही, जिससे ठिठुरन बढ़ गई है। बारिश ने एक बार फिर से गलन बढ़ा दी और दोपहर तक सूर्य देव के दर्शन नहीं हो सके। दफ्तरों में भी काम की रफ्तार धीमी हो गई। कार्यालयों में रूम हीटर व ब्लोवर चलाकर कर्मचारियों ने सर्दी दूर करने का प्रयास किया।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विभाग के अनुसार फिलहार कड़ाके की ठंड बनी रहेगी और शुक्रवार को भी बारिश के आसार बन रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक डॉ. नौशाद खान ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण शहर में बारिश हो रही है, फिलहाल बदली व कोहरा छाए रहने के आसार हैं। दिन के समय सर्दी बढ़ेगी जबकि रात में भी सर्द हवा चलेगी। इस महीने के अंत तक तापमान सामान्य व उससे ऊपर होना शुरू हो जाएगा।
कुछ यू रहा तापमान
मौसम के इस बदलाव के बीच बुधवार को अधिकतम तापमान 18.8 डिग्री व न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, वहीं अधिकतम तापमान सामान्य से 2.1 डिग्री सेल्सियस कम रहा जबकि बारिश 4.0 मिमी हुई। इसी तरह गुरुवार को 40.2 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो जनवरी माह में अब तक की तीसरी सर्वाधिक बारिश रही। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ. नौशाद खान ने बताया कि इस बारिश से आलू व सरसों के अलावा चना, मटर व मसूर जैसी दलहनी फसलों को नुकसान हुआ है। इनमें से मसूर सबसे अधिक संवेदनशील फसल है। मसूर की खेती में कम पानी की जरूरत होती है। बारिश ने उसे नुकसान पहुंचाया है। कृषि वैज्ञानिक इसका आंकलन कर रहे हैं कि इन बारिश से फसलों को कितना नुकसान होने की आशंका है।
शहर में बीते दस वर्षों में बारिश मिमी
-2009 : 0.0
-2010 : 3.2
-2011 : 0.0
-2012 : 44.2
-2013 : 3.5
-2014 : 67.2
-2015 : 10.3
-2016 : 10.4
-2017 : 24.6
-2018 :1.6