Move to Jagran APP

टैक्स ऑडिट दायरे में आने वालों ने 30 तक रिटर्न न दाखिल किया तो डेढ़ लाख जुर्माना

धारा 44 एबी के दायरे में आने वाले कारोबारियों, पेशेवर व्यक्तियों, फर्मो, कंपनी, व अन्य संस्थानों को वित्तीय वर्ष 2017-18 का आयकर रिटर्न 30 सितंबर तक दाखिल करना है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 10:39 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 11:43 AM (IST)
टैक्स ऑडिट दायरे में आने वालों ने 30 तक रिटर्न न दाखिल किया तो डेढ़ लाख जुर्माना
टैक्स ऑडिट दायरे में आने वालों ने 30 तक रिटर्न न दाखिल किया तो डेढ़ लाख जुर्माना

कानपुर (जेएनएन)। टैक्स ऑडिट के दायरे में आने वाले कारोबारियों व पेशेवरों के आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए मात्र 20 दिन बचे हैं। धारा 44 एबी के दायरे में आने वाले कारोबारियों, पेशेवर व्यक्तियों, फर्मो, कंपनी, व अन्य संस्थानों को वित्तीय वर्ष 2017-18 का आयकर रिटर्न 30 सितंबर तक दाखिल करना है।

loksabha election banner

इसके लिए बहीखाते व अभिलेखों की टैक्स ऑडिट रिपोर्ट चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेनी होगी। इसे रिटर्न के साथ ऑनलाइन अपलोड करना होगा। 30 सितंबर तक रिटर्न न दाखिल करने पर डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है।

इस माह चूके तो भूल जाएं अपना धन

कारोबारियों का पिछले वित्तीय वर्ष का यदि कोई समायोजन रह गया है तो उसे सितंबर के कारोबार में ही पूरा कर लें, अन्यथा इसके बाद वह समायोजन वे नहीं कर सकेंगे और उसका धन डूब जाएगा। उनके पास 3बी रिटर्न के अलावा इस समायोजन का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। जीएसटी के दौरान वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान यदि कारोबारियों का आइटीसी का कोई दावा छूट गया है। करदेयता दिखाने से रह गई है। खरीद वापसी या बिक्री वापसी नहीं दिखा सके हैं तो उसका इसी माह जीएसटी रिटर्न में सुधार कर लें। टैक्स सलाहकारों के मुताबिक कारोबारियों की भारी धनराशि अभी समायोजित होनी बाकी है। बड़ी संख्या में कारोबारी हैं जो अपने समायोजन 3बी रिटर्न में नहीं कर सकें हैं।

अप्रैल से सितंबर तक छूट

हर वित्तीय वर्ष के छूटे समायोजन को अगले वित्तीय वर्ष में अप्रैल से सितंबर के बीच ही समायोजित किया जा सकता है। इसके बाद कारोबारियों को मौका नहीं मिलेगा।

विधिक रूप से मंजूर नहीं होगा दावा

टैक्स सलाहकार संतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि सितंबर के कारोबार का 3बी रिटर्न 20 अक्टूबर तक फाइल करना होगा। उस 3बी रिटर्न तक ही मौका रहेगा कि बचे हुए समायोजन पूरे कर लिए जाएं। इसके बाद इसके बाद उनका विधिक रूप से कोई दावा मंजूर नहीं होगा।

इन स्थितियों में होगा टैक्स ऑडिट

1- बिक्री एक करोड़ रुपये से अधिक होने पर व पेशेवर आमदनी से वार्षिक सकल प्राप्ति 50 लाख रुपये से अधिक होने पर करदाता को बहीखातों व अभिलेखों का टैक्स ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट से कराना होगा।

2- दो करोड़ तक वार्षिक बिक्री करने वाले आठ फीसद से कम आय घोषित करते हैं तो उन्हें बहीखातों का टैक्स ऑडिट अनिवार्य रूप से कराना होगा। चाहे उनकी बिक्री एक करोड़ से कम क्यों न हो।

3- यदि धन अकाउंट पेई चेक, ड्राफ्ट या बैंक ट्रांसफर से मिला है तो कारोबारी छह फीसद तक लाभ घोषित कर सकते हैं। कम आमदनी घोषित करने पर अनिवार्य रूप से टैक्स ऑडिट कराना होगा।

4- अधिवक्ता, डॉक्टर, सीए, सीएस या अन्य प्रोफेशनल की सकल प्राप्ति 50 लाख रुपये तक हैं, तब उन्हें 50 फीसद तक शुद्ध पेशेवर आमदनी घोषित करनी है। इससे कम कर योग्य आमदनी घोषित करने पर टैक्स ऑडिट कराना होगा।

5- 10 वाहन रखने वाले ट्रांसपोर्टर को प्रति वाहन 7,500 रुपये प्रतिमाह न्यूनतम आय घोषित करनी है। यदि आय इससे कम घोषित की जाएगी तो टैक्स ऑडिट कराना है।

देर से रिटर्न में ये समस्याएं

1- यदि वित्तीय वर्ष में घाटा हुआ है तो उसे अगले वर्ष में समायोजित नहीं किया जा सकेगा।

2- रिटर्न संशोधित करने का मौका नहीं मिलेगा।

3- एडवांस टैक्स या टीडीएस की राशि देय आयकर में से घटाने पर कोई धनराशि बचती है तो 15 फीसद की दर से ब्याज अदा करना होगा।

लगातार परिवर्तन से जटिल हो गया टैक्स ऑडिट

फार्म- 3 सी, डी में बार-बार हो रहे परिवर्तन से टैक्स ऑडिट जटिल हो गया है। चार्टर्ड अकाउंटेंट राजीव मेहरोत्रा ने कल कानपुर चार्टर्ड अकाउंटेंट सोसाइटी के स्टडी सर्किल कमेटी की बैठक में यह जानकारी दी। स्टॉक एक्सचेंज ऑडिटोरियम में हुई बैठक में उन्होंने कहा कि आयकर धारा 44 (ए)(डी) के अंतर्गत हिंदू अविभाज्य परिवार वाले उन सभी करदाताओं को टैक्स ऑडिट कराना अनिवार्य है, जिनकी सकल बिक्री दो करोड़ से कम है और वे अपनी शुद्ध आय नकद व्यापार के आठ फीसद से कम और बैंकिंग सिस्टम से आए धन के छह फीसदी हिस्से से कम बता रहे हैं।

उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को एक दिन में दो लाख से अधिक नकद भुगतान होता है तो उसकी रिपोर्ट फार्म 3- सी, डी में देनी होगी। वहीं किसी ज्वैलर्स ने किसी व्यक्ति से एक बिक्री में दो लाख रुपए से अधिक नकद भुगतान लिया है तो उसे रिपोर्ट देनी होगी। साथ ही व्यापारी को अर्थदंड भुगतना होगा। बिल्डर्स या लैंड डेवलपर्स को फ्लैट या प्लॉट बुक कराने वालों के पैन नंबर सहित कुल आय दिखानी होगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.