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कार्डियोलॉजी में दिल के डॉक्टरों ने असंभव को संभव कर दिखाया

पहली बार बिना सर्जरी दिल का इलाज। दूरबीन विधि से वैस्कुलर प्लग डिवाइस डालकर बचाई गई बचे की जान, हृदय रोग संस्थान में कार्यशाला के जरिए दी गई नई तकनीक की जानकारी।

By Edited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 02:11 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 10:40 AM (IST)
कार्डियोलॉजी में दिल के डॉक्टरों ने असंभव को संभव कर दिखाया
कार्डियोलॉजी में दिल के डॉक्टरों ने असंभव को संभव कर दिखाया
जागरण संवाददाता, कानपुर : लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) में पहली बार दूरबीन विधि से वैस्कुलर प्लग डिवाइस लगाकर बिना चीर-फाड़ के दिल का इलाज किया गया। संस्थान में दिल्ली से आए विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. एनएन खन्ना की देखरेख में हृदय रोग विशेषज्ञों ने इस नई तकनीक का इस्तेमाल किया।
मथुरा के बरसाना निवासी अनिल के 10 वर्षीय पुत्र जितेश के आर्टरी एवं वेन में गैप था। इसकी वजह से उसका हार्ट ठीक से काम नहीं कर रहा था। चलने-फिरने में दिक्कत थी। सांस फूलती थी और आक्सीजन की मात्रा काम होने से शरीर नीला पड़ जाता था। उसमें हार्ट फेल्योर जैसे लक्षण थे।
उसके पिता ने कई जगह दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसी दौरान मथुरा में एक दिन जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय में मरीज देखने जाने वाले कार्डियोलाजिस्ट डॉ. एनएन खन्ना को दिखाया। वह शनिवार को जितेश को लेकर कानपुर के लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान पहुंचे। यहां बिना आपरेशन के दूरबीन विधि से दो वैस्कुलर प्लग डिवाइस लगाई।
डिवाइस लगते ही बच्चे को राहत मिल गई। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके सिन्हा ने बताया कि बच्चे में खून से जा रही आक्सीजन वेन से वापस लौट रही थी। अधिक रक्त पहुंचने से हार्ट ठीक से पंपिंग नहीं कर पा रहा था। बाद में कार्यशाला में डॉ. खन्ना ने संस्थान के रेजीडेंट को नई तकनीक की जानकारी दी। कार्यशाला में निदेशक डॉ. विनय कृष्ण, कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सीएम वर्मा, डॉ. रमेश ठाकुर, डॉ. आरएन पांडेय एवं डॉ. रजी भी थे।

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