एचबीटीयू की नजर से बच नहीं पाएंगे गंगा के गुनहगार, दी गई बड़ी जिम्मेदारी
टेनरियों से निकलने वाले तरल और ठोस पदार्थों की करेंगे जांच सीपीसीबी के सहयोग से होगा काम।
कानपुर, जेएनएन। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवॢसटी (एचबीटीयू) के विशेषज्ञ पतित पावनी गंगा की निर्मलता बरकरार रखने के लिए अब औद्योगिक इकाइयों पर नजर रखेंगे। उन्हेंं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से टेनरियों से निकलने वाले तरल और ठोस पदार्थों की जांच करने की जिम्मेदारी मिली है। पहले चरण में 40 टेनरियों के ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता और उसके शोधन की गुणवत्ता का आकलन होगा, जिसकी रिपोर्ट बोर्ड और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के अधिकारियों को भेजी जाएगी।
बारिश के कारण गंगा का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है। लॉकडाउन के समय से पानी की गुणवत्ता भी बेहतर रही है। घुलित ऑक्सीजन और बीओडी लेवल भी मानक के अनुरूप हैं, लेकिन पिछले साल और उससे भी पहले मोक्षदायिनी में प्रदूषण बढ़ा मिला था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कई बार निरीक्षण कर चुके हैं। उन्होंने जिला प्रशासन, जल निगम, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों को फटकारा था। उसके बाद से प्रत्येक मंगलवार को टीम आकर पानी की सैंपलिंग कर रही है। गंगा की स्थिति इसी तरह से बरकरार रखने के लिए सीपीसीबी ने एचबीटीयू के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. बृजेश सिंह को टेनरियों की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
एक वर्ष में देंगे जांच रिपोर्ट
प्रो. बृजेश सिंह ने बताया कि 40 टेनरियों की जांच एक साल में पूरी हो जाएगी। यह कई स्तर पर होगी। सबसे पहले टेनरियों की क्षमता, उनका उत्पादन, ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता, उससे निकलने वाले दूषित पदार्थ का आकलन किया जाएगा। इस जांच में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सहयोग लिया जाएगा।
केमिकल्स जलीय जंतुओं के लिए घातक
विशेषज्ञों के मुताबिक टेनरियों और डाइंग यूनिट््स से निकलने वाले दूषित पानी में कई खतरनाक तरह के केमिकल्स होते हैं, जो जलीय जंतुओं के जीवन पर खतरा बन जाता है।